कोर्ट ने कहा कि यदि IPC की धारा 498-A का इसी तरह से बेजा इस्तेमाल होता रहा तो सदियों पुरानी हमारी विवाह की व्यवस्था पूरी तरह से गायब हो जाएगी।
Azam Khan News: पीठ ने कहा कि जमानत की शर्त के तौर एक विश्वविद्यालय को कैसे ढहाया जा सकता है। इसके साथ ही पीठ ने पाशा से कहा कि वह मामले का जिक्र रजिस्ट्रार के समक्ष करें।
भाजपा के अयोध्या मीडिया प्रभारी डॉ. रजनीश सिंह ने 7 मई को कोर्ट में याचिका दायर कर ताजमहल के 22 कमरों में से 20 कमरों को खोलने की मांग की है। जिस पर आज हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाई है।
ताजमहल में भगवा वस्त्र और धर्मदंड लेकर प्रवेश न देने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। यह याचिका जगत गुरू परमहंस आचार्य धर्मेंद्र गोस्वामी की ओर से दाखिल की गई है।
हिंदू पक्ष का आरोप है कि ईदगाह मस्जिद कृष्ण मंदिर को तोड़कर बनाया गया है, इस विवाद का जल्द से जल्द निपटारा हो। ईदगाह मस्जिद का मामला मथुरा की स्थानीय कोर्ट में चल रहा है। हिंदू पक्षकारों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर इस केस की रोजाना सुनवाई और जल्द से जल्द निपटारा करने का आदेश देने की मांग की है।
2017 में हर्षवर्धन बाजपेयी को 89 हजार 191 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर कांग्रेस प्रत्याशी अनुग्रह नारायण सिंह थे और उन्हें 54 हजार 166 वोट हासिल हुए थे। बीएसपी उम्मीदवार अमित श्रीवास्तव को 23 हजार 388 वोट हासिल हुए थे।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने वकील एम. एल. शर्मा की इस दलील पर ध्यान दिया कि उत्तर प्रदेश के एक जिले की सिविल कोर्ट का भवन नहीं है।
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा जमानत पर रिहा होकर जेल से बाहर आ गया है। बता दें कि किसानों को अपनी जीप से कुचलने के आरोपी आशीष मिश्रा को 5 दिन पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच से जमानत मिल गई थी। मिश्रा लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में उत्तर प्रदेश की एसआईटी ने 5 हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी।
इस चुनाव में सरकार से नाराज़ इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्रों ने कहा कि ‘’जब देखो तब पेपर लीक हो जाते हैं। नौकरी मांगने पर छात्रों पर लाठियां बरसाई जाती हैं। छात्र मानसिक रूप से बीमार हो चुका है।’’
Uttar Pradesh में Assembly Election हो रहे हैं. नेता-जनता के बीच की दूरी काफी कम हो गई है. दावे और वादे जमकर हो रहे हैं. ऐसे में छात्रों के मन में क्या चल रहा है? क्या छात्रों को नेताओं की भाषा समझ में आ रही है? छात्रों को नेताओं के वादों पर कितना भरोसा है? जानने के लिए 'इंडिया टीवी’ का खास शो ‘ये पब्लिक है सब जानती है’ की टीम Allahabad University के छात्रों के बीच पहुंची. बातचीत के दौरान ज्यादातर छात्र सरकार से नाराज़ नज़र आए. छात्रों ने कहा कि ‘’जब देखो तब पेपर लीक हो जाते हैं. नौकरी मांगने पर छात्रों पर लाठियां बरसाई जाती हैं. सरकार जितनी नौकरियां देने का दावा कर रही है, वह सही नहीं है. छात्र मानसिक रूप से बीमार हो चुका है.’’
देश में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इस मुद्दे का संज्ञान लेते इलाहाबाद हाई कोर्ट ने PM मोदी और चुनाव आयोग से चुनावी रैलियों पर रोक लगाने की मांग की है।
शरजील की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह ने कहा, “किसी भी मामले में वह भाषण उत्तर प्रदेश राज्य के भीतर दिया गया और अलीगढ़ में दिए गए भाषण के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की गई।”
संविधान के अनुच्छेद 14 के हिसाब से हम सब लोग एक समान हैं। कई ऐसे अनुच्छेद हैं जो जाति, धर्म, भाषा के नाम पर भेदभाव करने से रोकता है। समानता, समन अवसर और समान अधिकार भारतीय संविधान की आत्मा है। दो दिन पहले यही बात इलहाबाद हाईकोर्ट ने भी कही है, जिससे देश में नए सिविल कोड को लेकर बहस छिड़ गई है। वहीं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि समान नागरिक संहिता किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं होगी। देखिए कुरुक्षेत्र सौरव शर्मा के साथ।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोर्ड देश की जरूरत है और इसे अनिवार्य रूप से लाया जाना चाहिए।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने समाजवादी पार्टी की पिछली सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति को धोखाधड़ी के एक मामले में लखनऊ की सांसद-विधायक अदालत (एमपीएमएलए की विशेष कोर्ट) से मिली जमानत पर रोक लगा दी है।
अदालत ने राज्य सरकार को यह निर्देश भी दिया कि जांच अधिकारियों को समय-समय पर उचित प्रशिक्षण दिया जाना आवश्यक है।
भारत के प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमना ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगमोहन लाल सिन्हा के 1975 में इंदिरा गांधी को चुनावी कदाचार के लिए प्रधानमंत्री पद के अयोग्य घोषित करने के फैसले ने देश को झकझोर कर रख दिया था।
बता दें कि विश्वनाथ मंदिर परिसर में तामील ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर साल 1991 में एक मुकदमा दायर हुआ था, जिसमे मांग की गई थी कि मस्जिद स्वयंभू विश्वेश्वर मंदिर का एक अंश है जहां हिंदू आस्थावानों को पूजा-पाठ, दर्शन और मरमम्त का अधिकार है।
राना के वकील ने पीठ के समक्ष दलील दी कि उनके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता क्योंकि यह उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है और आपराधिक मामला दर्ज करके इसे दबाया नहीं जा सकता है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मदरसों पर बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्या कोई सेक्युलर स्टेट धार्मिक शिक्षा देने वाले मदरसे को फंड दे सकता है?
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