दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए केन्द्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने एक गाइडलाइन जारी की है, जिसमें लोगों को बाहर निकलने की मनाही और बाहरी गतिविधियां कम करने की सलाह दी गई है। हवा इतनी घातक है कि दिल्ली के अस्पतालों में ओपीडी मरीजों की संख्या 25 फीसदी तक बढ़ चुकी है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण समिति (सीपीसीबी) के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण कारक कण पीएम 2.5 की मात्रा का 24 घंटे का औसत रात में 300 का आंकड़ा पार कर गया और इसकी मात्रा शुक्रवार को अपराह्न चार बजे 381 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रही।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटना और दिल्ली में वायु गुणवत्ता के खराब होने में प्रत्यक्ष संबंध है, जैसा कि आंकड़ों से दिखता है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि मॉडल अनुमान AQI को ‘उच्च उत्सर्जन के साथ भी’ ‘गंभीर’ श्रेणी तक पहुंचने का संकेत नहीं देते है।
उत्तर प्रदेश के नोएडा और गाजियाबाद में तथा हरियाणा के फरीदाबाद में सोमवार को औसत वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई।
हाल ही में आई ग्रीनपीस की स्टडी में भी यह बात सामने आई थी कि देश के बड़े शहरों की जहरीली हवा हर साल हजारों जिंदगियों को निगल रही है।
सीपीसीपी के समीर ऐप के मुताबिक, गाजियाबाद में शुक्रवार के गत 24 घंटे का औसत एक्यूआई 391 दर्ज किया गया जबकि ग्रेटर नोएडा में 376, नोएडा में 386, फरीदाबाद में 328 और गुरुग्राम में एक्यूआई 302 रहा।
दिल्ली की वायु गुणवत्ता (Delhi Air Quality) रविवार को ‘‘अत्यंत खराब'' श्रेणी में दर्ज की गई, लेकिन इसमें वायु की गति बढ़ने के पूर्वानुमान के कारण आगामी दो दिन में सुधार होने की उम्मीद है।
राष्ट्रीय राजधानी में एयर क्वॉलिटी शुक्रवार सुबह ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रही। प्रदूषण संबंधी अनुमान जताने वाली सरकारी एजेंसी ने कहा कि हवा की अनुकूल गति के कारण वायु गुणवत्ता में थोड़ा सुधार होने की उम्मीद है।
राष्ट्रीय राजधानी में जहरीले धुंध की परत छाने के बीच वायु की गुणवत्ता लगातार चौथे दिन सोमवार को 'बहुत खराब' श्रेणी में दर्ज की गई। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी संस्था ‘सफर’ ने कहा कि वायु की गुणवत्ता 31 अक्टूबर तक बहुत खराब श्रेणी में बनी रहने की आशंका है।
दिल्ली समेत उत्तर भारत के अधिकतर हिस्सों में धुंध छाने और हवा की गुणवत्ता में तेजी से गिरावट आने के बीच वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि वायु प्रदूषण और कोविड-19 के मामलों के बीच कोई संबंध पूरी तरह भले ही साबित नहीं हो पाया है लेकिन लंबे समय तक प्रदूषण से फेफड़े के संक्रमण का खतरा बना रहेगा।
देश के उत्तरी भाग में सर्दी का प्रकोप बढ़ने के साथ ही प्रदूषण हवा को दिन ब दिन जहरीली बनाता जा रहा है। पंजाब हरियाणा के खेतों से उठ रहा पराली का धुंआ सबसे ज्यादा प्रभाव दिल्ली एनसीआर के शहरों पर डाल रहा है।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी के मुताबिक हवा को दूषित करने वाली गैसों की मात्रा हवा में बढ़ गई है जिस वजह से दिल्ली में हवा की क्वॉलिटी लगातार खराब हो रही है।
दिल्ली के लगभग 65 प्रतिशत घरों में एक या एक से अधिक ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने पहले ही प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों का सामना करना शुरू कर दिया है।
नोएडा प्रदूषण विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी प्रवीण कुमार ने बताया कि बुधवार को नोएडा में वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) 290 दर्ज किया गया जो खराब श्रेणी में आता है।
राष्ट्रीय राजधानी की हवा की गुणवत्ता गुरुवार को 'खराब' श्रेणी में रही। वहीं सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) ने पूवार्नुमान में कहा कि एक्यूआई अगले तीन दिनों में रविवार तक और बिगड़ेगा।
राष्ट्रीय राजधानी से मॉनसून वापसी में हुई देरी से दिल्ली में हवा की क्वॉलिटी पर आने वाले दिनों में बहुत ही खराब असर हो सकता है।
वायु गुणवत्ता सूचकांक 0-50 श्रेणी में ‘खराब’, 51-100 में ‘संतोषजनक’, 101-300 में ‘मध्यम’, 201-300 में ‘खराब’, 301-400 में ‘बेहद खराब’ और 401-500 में ‘गंभीर’ माना जाता है।
दिल्ली की वायु गुणवत्ता में बुधवार को सुबह थोड़ा सुधार आया और यह ‘मध्यम’ श्रेणी में दर्ज की गई। इससे पहले दो दिनों तक वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में रही थी।
मौसम विभाग के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ के कारण हवा की गति धीमी रहने और आर्द्रता के उच्च स्तर के कारण सुबह के वक्त प्रदूषकों के बिखराव में कमी आई, यही प्रदूषण का कारण बना।
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