राष्ट्रीय राजधानी में 1 नवंबर तक हवा की गति बढ़ने के कारण वायु प्रदूषण के स्तर में उल्लेखनीय सुधार होने की संभावना है।
राष्ट्रीय राजधानी में एयर क्वॉलिटी शुक्रवार सुबह ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रही। प्रदूषण संबंधी अनुमान जताने वाली सरकारी एजेंसी ने कहा कि हवा की अनुकूल गति के कारण वायु गुणवत्ता में थोड़ा सुधार होने की उम्मीद है।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए दिल्ली सरकार की ओर से इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित किए जाने का असर दिखने लगा है। अब तक 3000 से अधिक वाहन रजिस्टर्ड हो चुके हैं।
केंद्र सरकार ने प्रदूषण को लेकर बुधवार रात एक अध्यादेश जारी किया जिसमें प्रदूषण फैलानेवालों पर एक करोड़ तक का जुर्माना और पांच साल तक की सजा का प्रवाधान है।
दिल्ली- एनसीआर और इससे सटे राज्य हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में वायु प्रदूषण को रोकने और उपाय सुझाने के साथ ही इसे मॉनिटर करने के लिए एक आयोग (कमीशन) गठन के अध्यादेश को मंजूरी मिल गई है।
राष्ट्रीय राजधानी में जहरीले धुंध की परत छाने के बीच वायु की गुणवत्ता बुधवार को ' खराब' श्रेणी में दर्ज की गई। सर्दियों के साथ ही दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की समस्या गहराने लगी है।
प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के कारण, लोगों को सांस लेने में समस्या हो रही है और कुछ बच्चों को दूषित हवा के कारण गले की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
जर्नल ‘कार्डियोवस्कुलर’ में प्रकाशित अध्ययन में कोरोना वायरस से हुई मौतों के संबंध में विश्लेषण किया गया और दुनिया के विभिन्न देशों में वायु प्रदूषण से संबंध का पता लगाया गया।
राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता मंगलवार को 'बहुत खराब' श्रेणी में दर्ज की गई। दिल्ली की वायु गुणवत्ता 31 अक्टूबर तक 'बहुत खराब' श्रेणी में रहने का अनुमान है।
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार जल्द ही एक नया कानून लाएगी। पर्यावरण मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।
राष्ट्रीय राजधानी में जहरीले धुंध की परत छाने के बीच वायु की गुणवत्ता लगातार चौथे दिन सोमवार को 'बहुत खराब' श्रेणी में दर्ज की गई। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी संस्था ‘सफर’ ने कहा कि वायु की गुणवत्ता 31 अक्टूबर तक बहुत खराब श्रेणी में बनी रहने की आशंका है।
दिल्ली सरकार ने दिल्ली में वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से 'रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ' अभियान सोमवार को सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में शुरू किया।
दिल्ली समेत उत्तर भारत के अधिकतर हिस्सों में धुंध छाने और हवा की गुणवत्ता में तेजी से गिरावट आने के बीच वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि वायु प्रदूषण और कोविड-19 के मामलों के बीच कोई संबंध पूरी तरह भले ही साबित नहीं हो पाया है लेकिन लंबे समय तक प्रदूषण से फेफड़े के संक्रमण का खतरा बना रहेगा।
3 साल के मुकाबले सबसे ज्यादा पराली इस साल जलाई गई। जिसके कारण एयर क्वालिटी इंडेक्ड 300 से अधिक है। दुनियाभर में करीब 70 लाख लोग वायु प्रदूषण के कारण अपनी जान गवां देते है।
स्वामी रामदेव के अनुसार वायु प्रदूषण से बचने के लिए फेफड़ों का मजबूत और हेल्दी होना बहुत ही जरूरी है। जानिए कौन से प्राणायाम कारगर साबित हो सकते है।
स्वामी रामदेव के अनुसार वायु प्रदूषण केवल अस्थमा के मरीजों के लिए ही खतरनाक नहीं है बल्कि कैंसर के मरीजों के लिए भी जानलेवा साबित हो सकता है। इसलिए रोजाना आयुर्वेदिक चीजों का सेवन करे।
स्वामी रामदेव के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण अस्थमा, जुकाम, सांस लेने में समस्या, साइनस, सिरदर्द जैसी समस्याएं बढ़ सकती है। ऐसे में ये योगासन फायदेमंद साबित होंगे।
पराली जलाने से तेजी से वायु प्रदूषण बढ़ता है। जिसके कारण अस्थमा के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप अपने फेफड़ों को हेल्दी और मजबूत बनाए। इसके लिए आप योग और कुछ आयुर्वेदिक उपायों की मदद ले सकते हैं।
उन्होंने बताया कि प्रदूषण विभाग नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों के खिलाफ लगातार जुर्माना लगा रहा है। उल्लेखनीय है कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बेहद खराब' और 401 और 500 'गंभीर' माना जाता है।
इस बात के भी सबूत हैं कि वायु प्रदूषण भी कोविड-19 के प्रसार में काफी हद तक मदद करेगा। वहीं एक और ऐसी वजह है जिसने भारत में साल 2019 में 1 लाख 16 हजार नवजात बच्चों की जान ले चुका है। ये बात हालिया शोध में सामने आई है।
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