एनएसओ ने जनवरी-दिसंबर 2019 के दौरान देश के ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार की भूमि और पशुधन के अलावा कृषि परिवारों की स्थिति का आकलन किया। सर्वे के अनुसार कृषि वर्ष 2018-19 (जुलाई-जून) के दौरान प्रति कृषि परिवार की औसत मासिक आय 10,218 रुपये थी।
केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि ये कृषि सुधार कानून 30 साल की साधना एवं विमर्श के बाद लाए गए हैं।
कंपनी ने एक बयान में कहा कि ‘रेंट4फार्म’ किसानों को प्रतिस्पर्धी दरों पर उच्च गुणवत्ता वाली मशीनरी और उपकरण किराए पर लेने में मदद करेगा।
भारत में मोटा अनाज उत्पादन फसल वर्ष 2017-18 के 164 लाख टन से फसल वर्ष 2020-21 (जुलाई-जून) में बढ़कर 176 लाख टन हो गया है।
भारत 2019 में तीसरा सबसे बड़ा कपास निर्यातक (7.6 प्रतिशत) और चौथा सबसे बड़ा आयातक (10 प्रतिशत) रहा। 1995 में भारत टॉप-10 देशों की लिस्ट में शामिल नहीं था।
यूरोपीय संघ ने धान की फसल को 'ब्लास्ट' नामक बीमारी से बचाने के लिए भारत में इस्तेमाल होने वाले कवकनाशी ट्राईसाइक्लाज़ोल के अधिकतम अवशेष सीमा (एमआरएल) में कटौती की है।
ट्रैक्टर फ्री रेंटल स्कीम के अलावा कंपनी ऑक्सीजन कंट्रीब्यूटर्स, ऑक्सीजन सिलेंडर की खरीद और बड़े स्तर पर टीकाकरण को भी अपना समर्थन दे रही है।
कोविड महामारी की दूसरी लहर के बीच खरीफ मौसम शुरू हो रहा है इसलिए खरीफ से पहले की अवधि में किए जाने वाले सामान्य कृषि कार्य बाधित होने की आशंका है
केन्द्र सरकार ने बुधवार को डीएपी उर्वरक पर सब्सिडी 140 प्रतिशत बढ़ाकर 1,200 रुपये प्रति बोरी कर दी, जो पहले 500 रुपये प्रति बोरी थी
सबसे ज्यादा 2125 आवेदन आंध्र प्रदेश से मिले हैं. वहीं मध्य प्रदेश से 1,830 आवेदन, उत्तर प्रदेश से 1,255 आवेदन, कर्नाटक से 1,071 आवेदन और राजस्थान से 613 आवेदन मिले हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा एक फरवरी को पेश किए गए बजट में कृषि उपकर से लगभग 30,000 करोड़ रुपये के राजस्व की प्राप्ति का अनुमान है, जिसका इस्तेमाल मंडियों को मजबूत बनाने में किया जाएगा।
कृषि मंत्री के मुताबिक देश में गेहूं व धान की खरीद तो एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर होती थी, लेकिन दलहन व तिलहन की खरीद की व्यवस्था नहीं थी, केंद्र सरकार ने किसानों को आय समर्थन के लिए इन्हें भी एमएसपी पर खरीदने की व्यवस्था की है, जिससे दलहन की पैदावार बढ़ाने में मदद मिली है।
तीन कृषि कानूनों के मामले के बीच सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार के इस फैसले से किसानों को निश्चित तोर पर लाभ होने वाला है।
पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार की ट्वीट पर जवाब देते हुए कृषि मंत्री ने ट्वीट किया कि उनके सामने गलत तथ्य रखे गए हैं। पवार ने कहा था कि नए कानून से एमएसपी और मंडियां खत्म होंगी
मंत्री समूह के साथ 22 जनवरी को किसान यूनियनों के साथ आखिरी दौर की वार्ता में केंद्रीय मंत्री तोमर ने साफ कहा कि नये कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर डेढ़ साल तक रोक लगाने के सरकार के प्रस्ताव पर जब किसान यूनियन सहमत होंगे तभी उनके साथ बातचीत होगी।
शीर्ष अदालत ने तीनों कानूनों के अमल पर रोक लगाते हुए मसले के समाधान के लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। हालांकि कमेटी के एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने खुद को कमेटी से अलग कर लिया, जिसके बाद अब कमेटी में तीन सदस्य हैं।
कृषि मंत्री के मुताबिक ये कानून पहले आने चाहिए थे, लेकिन पहले की सरकार दबाव-प्रभाव में आगे नहीं बढ़ पाई। मोदी जी ने साहसपूर्वक कदम उठाया और दो नए कानून बनाए एवं एक कानून में संशोधन किया, जिन्हें संसद के दोनों सदनों ने मंजूरी दी।
कृषि राज्यमंत्री के मुताबिक केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए व्यापक योजनाएं लागू की हैं, जिसका लक्ष्य 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करना है। नए कानून इसी दिशा में है अगर किसानों को कोई आपत्ति है तो सरकार उनसे बात कर संशोधन के लिए तैयार हैं।
सरकार ने आंदोलनकारी किसान संगठनों को पत्र लिखकर 30 दिसंबर को बातचीत के लिए बुलाया है। ये बैठक दोपहर 2 बजे विज्ञान भवन में होगी। इससे पहले दोनो पक्षों में कई दौर की बात हो चुकी है हालांकि अभी तक कोई हल नहीं निकला है।
किसानों से जुड़े एक संगठन के राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को कृषिभवन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र सौंपे। इस पत्र में 3 लाख से ज्यादा किसानों के हस्ताक्षर हैं।
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