शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को कृषि भवन में 8 राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक की है। इस बैठक में भारत को दाल के मामले में आत्मनिर्भर बनाने पर चर्चा हुई है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो के बाद इंटरनेट पर लोगों में ये बहस शुरू हो गई है कि इस तकनीक से खेती का काम आसान हो जाएगा, तो वहीं कुछ लोगों का कहना है कि इससे मजदूरों का रोजगार छीन जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि केन्या के कृषि क्षेत्र का आधुनिकिकरण करने के लिए हमने 250 मिलियन डॉलर की ऋण सुविधा प्रदान करने का भी निर्णय लिया है।
Average Monsoon: किसानों के लिए औसत मॉनसून का होना सबसे बेहतर माना जाता है। आंकड़ों को देखें तो भारत में औसत मॉनसून ही दिखाई पड़ता है, लेकिन उसके बावजूद भी भारतीय किसान परेशान हैं।
नाबार्ड ग्रेड ऑफिसर की नौकरी एक सरकारी नौकरी है। अगर आप एग्रीकल्चर सेक्टर में करियर बनाना चाहते हैं तो यह नौकरी आपके लिए बेस्ट है। इसमें आपको 40 से 56 हजार रुपए हर महीने तनख्वाह मिलती है।
केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि ये कृषि सुधार कानून 30 साल की साधना एवं विमर्श के बाद लाए गए हैं।
हमारे कृषि क्षेत्र के खिलाफ प्रतिकूल कदम उठाने का कोई सवाल ही नहीं है। हाल के सुधारों को भारत के किसानों के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। हम हमेशा अपने किसान भाइयों की बात सुनने, उनकी गलतफहमी को दूर करने और आश्वासन देने के लिए त
कृषि श्रमिकों के मामले में सीपीआई में सर्वाधिक 23 अंक की वृद्धि हिमाचल प्रदेश में दर्ज की गयी। वहीं ग्रामीण कामगारों के संदर्भ में जम्मू कश्मीर में सर्वाधिक 20 अंक की वृद्धि हुई। इस वृद्धि का कारण मुख्य रूप से गेहूं आटा, दाल, सरसों तेल, दूध, सब्जी, फलों के दाम आदि में आई बढ़ोतरी है।
फिलहाल करीब 80 प्रतिशत से अधिक गेहूं, दलहन और तिलहन फसलों की कटाई पूरी
पिछले हफ्ते सामान्य से दोगुना ज्यादा हुई बारिश
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि देश की आर्थिक वृद्धि को तब तक ‘तर्कसंगत और समानता वाला’ नहीं ठहराया जा सकता जब तक कि कृषि क्षेत्र में इसका लाभ स्पष्ट रूप से न दिखने लगे।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने स्पष्ट किया है कि सरकार की कृषि आय पर कर लगाने की योजना नहीं है और न ही उसका अमीर किसानों पर किसी तरह का कर लगाने का इरादा है।
मोदी सरकार ने किसानों के हित में बड़ा फैसला लिया है। मंगलवार को कैबिनेट ने कम अवधि के फसल कर्ज पर 660.5 करोड़ रुपए के ब्याज को माफ करने का ऐलान किया है।
नोटबंदी के कारण कृषि क्षेत्र बुरे दौर से गुजर रहा है और बड़े किसानों का कहना है कि फल एवं सब्जी उत्पादकों को सर्वाधिक नुकसान हुआ है।
संपादक की पसंद