AFSPA एक संसदीय अधिनियम है। ये अधिनियम भारत के सशस्त्र बलों और राज्य और अर्धसैनिक बलों को 'अशांत क्षेत्रों' के रूप में वर्गीकृत किए गए इलाकों में विशेष शक्ति देता है।
सरकार जम्मू-कश्मीर में लागू सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम यानी की अफस्पा/AFSPA को हटाने पर विचार कर रही है। शाह ने इंटरव्यू के दौरान दावा करते हुए कहा है कि सितंबर महीने से पहले जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव आयोजित होंगे।
भारत के अशांत क्षेत्रों में कानून व्यवस्था की दोबारा बहाली के लिए केंद्र सरकार की ओर से AFSPA कानून को लागू किया जाता है। इस कानून के तहत सशस्त्र बलों को अशांत क्षेत्रों में तलाशी लेने, गिरफ्तार करने समेत कई अन्य अधिकार दिए जाते हैं।
गृह मंत्रालय के मुताबिक केंद्र सरकार के लगातार प्रयासों से पूर्वोत्तर भारत की सुरक्षा स्थिति में अभूतपूर्व सुधार हुआ है और भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम के तहत दशकों बाद अप्रैल 2022 से नागालैंड, असम और मणिपुर में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा) के तहत अशांत क्षेत्रों को कम किया।
केंद्र ने नगालैंड, असम और मणिपुर में आफस्पा के तहत आने वाले प्रभावित इलाकों को दशकों बाद एक अप्रैल से कम करने की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की ‘डबल इंजन’ सरकार का प्रभाव असम में स्थायी शांति और तेज गति से विकास के लौटने से दिखायी देता है।
केंद्र की मोदी सरकार ने दशकों बाद पूर्वोत्तर राज्यों में आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट (AFSPA) के तहत आने वाले अशांत इलाकों को घटा दिया है। इनमें असम के 23 जिले ऐसे हैं, जहां अफस्पा हटा दिया गया है। जानिए अफस्पा के नियम क्या हैं, असम में कैसे हुई शुरुआत, सेना को क्या-क्या मिलते हैं अतिरिक्त अधिकार।
मुख्यमंत्री ने हिमंत बिस्वा सरमा अपने ट्वीट में कहा, ‘‘ नौ जिलों एवं एक उपसंभाग को छोड़कर असम के सभी क्षेत्रों से आफस्पा हटाने के आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के फैसले का मैं पूरे हृदय से स्वागत करता हूं।’’ हिमंत बिस्वा सरमा ने ‘इस बड़े कदम के लिए’ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के प्रति आभार भी प्रकट किया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्वयं इस बात की जानकारी सोशल मीडिया के जरिए दी। साथ ही उन्होंने इस फैसले का श्रेय पीए मोदी को दिया।
पूर्वोत्तर के विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा अफ्सपा को अक्सर क्रूर अधिनियम बताया जाता रहा है क्योंकि इसके तहत सशस्त्र बलों को अशांत इलाकों में लोक व्यवस्था कायम रखने के लिए विशेष शक्तियां दी गई हैं।
नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफियू रियो ने रविवार को कहा कि केंद्र नगालैंड से आफस्पा (AFSPA) हटाने पर गौर करने के लिए पांच सदस्यीय समिति गठित करेगा। गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव (पूर्वोत्तर) आफस्पा पर समिति की अध्यक्षता करेंगे वहीं समिति में नगालैंड के मुख्य सचिव, डीजीपी भी होंगे।
राज्य सरकार ने AFSPA कानून रद्द करने की मांग करते हुए केंद्र को चिट्ठी लिखने का फैसला लिया
मंत्रालय ने कहा है कि राज्य की सीमा के अंदर आने वाला क्षेत्र फिलहाल अशांत और खतरनाक स्थिति में है। इसी के चलते यहां नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का प्रयोग करना जरूरी है।
पूर्ववर्ती राज्य Jammu Kashmir को बृहस्पतिवार को विभाजित किये जाने तक राज्य सरकार को जिलाधिकारियों के माध्यम से अफस्पा के तहत किसी जिले या पुलिस थाना क्षेत्र को ‘‘अशांत’’ घोषित करने का अधिकार दिया गया था।
पूरे नगालैंड राज्य को विवादास्पद AFSPA के तहत और छह महीने के लिए, दिसम्बर अंत तक ‘‘अशांत क्षेत्र’’ घोषित कर दिया गया है जो कि सुरक्षा बलों को कहीं भी अभियान संचालित करने और बिना किसी पूर्व सूचना के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता है। सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) कानून नगालैंड में कई दशकों से लागू है।
कांग्रेसनेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने कहा है कि मैनिफेस्टो में शामिल कुछ मुद्दों के चलते पार्टी को लोकसभा चुनावों में नुकसान का सामना करना पड़ा।
मोदी ने सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ साथ आये विपक्षी दलों और उनके सहयोगी दलों को महा मिलावट करार दिया है और कहा कि अगर वे सत्ता में आए तो नक्सली गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
भाजपा अध्यक्ष ने रोहिंग्या शरणार्थियों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के दोबारा सत्ता में आने पर अगले 5 साल में हर घुपैठिए को देश से बाहर कर दिया जाएगा
सियासत को अलग करके देखा जाए तो यहां मुख्य मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा और हमारे सशस्त्र बलों के मनोबल का है। हम अपने सुरक्षाकर्मियों के जीवन और करियर को वोट के लिए खतरे में नहीं डाल सकते।
गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर के खराब हालात के लिए प्रधानमंत्री को जिम्मेदार बताया। आजाद ने कहा ‘’क्या वजह है कि 2014 तक हालात ठीक हो गए थे? क्या वजह है कि 2014 से लेकर आज तक हालात फिर 1990-91 की तरह हुए? उसके लिए अगर कोई एक आदमी जिम्मेदार है, इस देश का प्रधानमंत्री जिम्मेदार है।’’
इस राज्य के बीस फरवरी 1987 को बनने के समय से विवादित आफस्पा कानून लागू था। यह कानून असम और केन्द्र शासित प्रदेश मणिपुर में पहले से लागू था।
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