भारत की मेजबानी में डिजिटल तरीके से यह बैठक हुई जिसमें भारत ने सीमापार आतंकवाद तथा लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों की गतिविधियों का मुद्दा भी उठाया जिन्हें राजकीय समर्थन प्राप्त है एवं जो शांति एवं सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं।
इस बीच बताया जा रहा है कि अफगानिस्तान में मुल्ला बरादर की अगुवाई में नई सरकार का गठन होगा। अरब न्यूज में प्रकाशित खबर के मुताबिक तालिबान सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि नई सरकार का गठन मुल्ला बरादर के नेतृत्व में होगा।
तालिबान सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि नई सरकार का गठन मुल्ला बरादर के नेतृत्व में होगा। सूत्रों के मुताबिक तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का बेटा मुल्ला मोहम्मद याकूब और शेर महमूद अब्बास इस सरकार में सीनियर पोजिशन संभालेंगे।
अफगानिस्तान में पिछले दो दशकों में अमेरिकी मिशन न केवल विफल रहा, बल्कि एक तबाही भी था। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने गुरुवार को यह टिप्पणी की।
तालिबान ने कहा है कि मुल्ला हिबातुल्ला अखुंदजादा वह नेता होगा, जिसके नेतृत्व में कोई प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति देश को चलाएगा।
उन्होंने कहा कि यदि पश्चिम तालिबान के साथ बातचीत नहीं करता है, तो अफगानिस्तान एक और गृहयुद्ध का शिकार हो सकता है
अफगानिस्तान, भारतीय चीनी निर्यात के लिए शीर्ष तीन गंतव्यों में से एक है। वहां हर वर्ष लगभग छह-सात लाख टन चीनी का निर्यात किया जाता है।
इस मुलाकात के दौरान उन्होंने भारत की उन चिंताओं को उठाया था कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी तरह से भारत विरोधी गतिविधियों और आतंकवाद के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
अमेरिका को अफगानिस्तान से एक न एक दिन जाना था, लेकिन वे इस तरह से जाएंगे, इतने बेगैरत होकर जाएंगे, ये किसी ने नहीं सोचा था।
बायडेन ने कहा कि अमेरिकी ने जो काम किया वह कोई नहीं कर सकता था। उन्होंनेदावा किया कि उन्होंने अफगानिस्तान से 1.25 लाख लोगों को बाहर निकाला।
भारत अफगानिस्तान को लेकर एक पतली रेखा पर चल रहा है, एक ऐसे रास्ते पर चल रहा है, जो तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार को मान्यता दिए बिना, परियोजनाओं और लोगों से लोगों के संपर्क को जारी रखने की अनुमति दे सकता है...
सरकारी कर्मचारियों को महीनों से भुगतान नहीं किया गया है और स्थानीय मुद्रा का अवमूल्यन हो रहा है। अफगानिस्तान के अधिकांश विदेशी मुद्रा भंडार विदेशों में हैं और वर्तमान में उनके लेनदेन पर रोक है।
ब्रिटेन के वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल सर माइक विगस्टन ने ‘द डेली टेलिग्राफ’ अखबार से सोमवार को कहा कि ब्रिटेन इस्लामिक स्टेट-खुरसान के खिलाफ हमले में शामिल हो सकता है।
अफगानों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि अमेरिका उन्हें 20 साल तक इस्तेमाल करने के बाद यूं बेसहारा और बेबस छोड़कर भाग जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक इस ग्रुप में विदेश मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और सीनियर अधिकारी शामिल हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने 31 अगस्त तक अफगानिस्तान से अपने सभी सैनिकों की वापसी की समय-सीमा तय की थी, लेकिन तालिबान ने इससे करीब दो सप्ताह पहले ही अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया और इससे वहां स्थिति काफी खराब हो गई। हालांकि यह अभियान सोमवार देर रात सम्पन्न हो गया।
अमरुल्ला सालेह ने कहा है कि अफगानिस्तान को अंतिम अमेरिकी सैनिक के बैग में भरकर कहीं ले जाया गया नहीं है, बल्कि अफगानिस्तान वहीं है जहां था।
तालिबान ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ये हम सबकी जीत है। तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि तालिबान अमेरिका के साथ अच्छ संबंध चाहता है।
जनरल केनेथ मैकेंजी ने कहा कि हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहले से मौजूद 73 विमानों को अमेरिकी सैनिकों ने वहां से रवाना होने से पहले ही तकनीकी तौर पर बेकार कर दिया
तालिबान ने काबुल एयरपोर्ट को पूरी तरह से अपने नियंत्रण में ले लिया है। इस मौके पर तालिबान ने फायरिंग कर जश्न मनाया।
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