आपको बता दें कि शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडाणी समूह के खिलाफ लगे आरोपों की जांच करने वाले बाजार नियामक सेबी पर संदेह करने की कोई वजह नहीं है। उसने कहा कि बाजार नियामक की जांच के बारे में भरोसा नहीं करने के लायक कोई भी तथ्य उसके समक्ष नहीं है।
अडाणी ग्रुप ने उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग को लेकर सोशल मीडिया पर समूह का नाम गलत तरीके से घसीटने का खंडन किया है। ग्रुप की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सुरंग निर्माण करने वाली कंपनी से अडाणी ग्रुप का कोई संबंध नहीं है।
अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग के आरोपों को पीछे छोड़ते हुए अडाणी ग्रुप एक बार फिर छलांग लगाना शुरू कर दी है। ग्रुप कंपनियां बेहतर काम कर रही है। वहीं, देश के साथ विदेशों से कंपनियों को ऑर्डर मिलने शुरू हो गए हैं।
भारत और अमेरिका ने मिलकर ऐसा महाप्लान बनाया है कि श्रीलंका में चीन की सारी हेकड़ी निकल जाएगी। अमेरिका ने ऐलान किया है कि वह कोलंबो पोर्ट के टर्मिनल के लिए 55 करोड़ डॉलर से ज्यादा राशि देगा। कोलंबो में इस प्रोजेक्ट को अडानी ग्रुप आगे बढ़ा रहा है। जानिए कैसे मिलेगी चीन को पटखनी?
राहुल गांधी ने आज एक बार फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जहां अडानी ग्रुप पर हमला बोला वहीं केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने एक विदेशी में छपी रिपोर्ट का हवाला देते हुए अडानी ग्रुप पर हमला बोला।
इजरायल पर हमास के हमले के बाद अडाणी पोर्ट्स के शेयरों में बड़ी गिरावट आ गई। बाजार बंद होने पर शेयर 5.09% की गिरावट के साथ 788.50 रुपये में बंद हुआ। आपको बता दें कि इसी साल अडाणी ग्रुप ने इजरायल में हइफा बंदरगाह को करीब 1.18 अरब डॉलर में अधिग्रहण किया था।
पिछले 25 साल एक शानदार यात्रा रही हैं, और अब हम मुंद्रा पोर्ट के विकास में एक और अध्याय शुरू करने के लिए तैयार हैं। अदाणी ग्रुप इनगॉट, विंड-टेक, पेट्रोकेमिकल्स और कच्छ कॉपर जैसी परिवर्तनकारी प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है, जो इस क्षेत्र के नामको को फिर से नए फलक पर लाएगा।
कंपनी ने सोमवार को बयान में कहा, ‘‘खारघर विक्रोली ट्रांसमिशन लिमिटेड (केवीटीएल) चालू हो गई है। यह मुंबई में अतिरिक्त बिजली लाने के साथ शहर की बढ़ती बिजली मांग को पूरा करने में सक्षम होगी।’’ केवीटीएल, अडाणी एनर्जी सॉल्यूशंस लि. की विशेष उद्देश्यीय इकाई है।
हिंडनबर्ग ने अडाणी समूह पर बही-खातों में धोखाधड़ी और शेयरों के भाव में गड़बड़ी के साथ विदेशी इकाइयों के अनुचित उपयोग का आरोप लगाया था। इसके बाद कंपनी के शेयरों में गिरावट आई थी। हालांकि कंपनी ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया है।
हिंडनबर्ग की जनवरी में रिपोर्ट आने के बाद से टोटल का अडाणी समूह में यह पहला निवेश है। रिपोर्ट में अडाणी समूह पर लेखा और शेयरों में धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था। टोटल कंपनी के साथ मिलकर संयुक्त उद्यम के गठन को लेकर स्वयं या अपनी सहयोगी इकाइयों के जरिये 30 करोड़ डॉलर का और निवेश करेगी।
अडानी मामले पर अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को होने वाली है। दरअसल 24 जनवरी को अमेरिकी निवेश एवं शोध फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी समूह के शेयरों में बेहिसाब तेजी के लिए हेराफेरी और वित्तीय धांधली के आरोप लगाए थे। इसके बाद से समूह की कंपनियों के बाजार मूल्यांकन में करीब 150 अरब डॉलर तक की भारी गिरावट आ गई थी।
इसमें दोनों की 50-50 प्रतिशत साझेदारी होगी। संयुक्त उद्यम जापान, ताइवान और हवाई में उत्पादों के विपणन पर ध्यान केंद्रित करेगा।
सिर्फ 24 घंटे में अडानी के नेटवर्थ में 681 मिलियन डॉलर का इजाफा दर्ज किया गया। इतनी नेटवर्थ के साथ अब गौतम अडानी दुनिया के 19वें सबसे अमीर हस्ती हैं।
OCCRP कहने को तो ये दुनियाभर के इन्वेस्टीगेटिव जर्नलिस्ट्स का संगठन है, लेकिन हकीकत ये है कि ये संगठन जॉर्ज सोरोस जैसे अरबपति कारोबारी के पैसे से चलता है।
राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगते हुए कहा कि यह मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि तमाम आरोपों और सबूतों के बाद भी भारत की जांच एजेंसियां गौतम अडानी से पूछताछ क्यों नहीं कर रही हैं।
अडाणी समूह ने एक बयान में स्पष्ट रूप से इनका खंडन करते हुए कहा कि इसमें पुराने आरोपों को अलग तरीके से दोबारा पेश किया गया।
अदानी समूह ने ऑर्गेनाइडज़्ड क्राइम एंड करप्शन रिपर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) द्वारा लगाए गए छिपे विदेशी निवेशकों के 'दोबारा थोपे गए' आरोपों को कड़ाई से अस्वीकार कर दिया है।
हलफनामे में कहा गया है, ‘‘याचिकाकर्ता ने बिना किसी आधार के राजनीति से प्रेरित होने निराधार आरोप लगाए हैं। इस रिट याचिका लागत के साथ खारिज किया जाना चाहिए।
अडाणी एंटरप्राइजेज, अडाणी पावर, अडाणी ग्रीन एनर्जी, अडाणी विल्मर और अडाणी एनर्जी सॉल्यूशंस लिमिटेड सहित अडाणी समूह की कंपनियों के शेयर में आज गिरावट देखने को मिल रही है।
सेबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "इन विदेशी निवेशकों से जुड़ी कई संस्थाओं के 'टैक्स हेवन' देशों में स्थित होने से 12 एफपीआई के शेयरधारकों के आर्थिक हित को स्थापित करना एक चुनौती बनी हुई है।
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