ओवैसी, महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला जैसे नेता मुसलमानों के मन में डर पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
इस वक्त जो माहौल है उसमें पुलिस को सावधान, प्रशासन को सचेत और जनता को संयमित रहने की बहुत ज्यादा जरूरत है। क्योंकि माहौल खराब करने की साजिश कई तरह से हो रही है।
इमरान खान ने अपने भाषण में पहले तो अमेरिका का नाम लिया और बाद में ऐसा दिखाने की कोशिश की मानो अमेरिका का नाम उनके मुंह से गलती से निकल गया।
सार्वजनिक मंच पर हजारों लोगों की भीड़ के सामने अपने प्रधानमंत्री के मुंह से भारत की विदेश नीति की तारीफ सुनकर पाकिस्तान की जनता और वहां के नेता हैरान थे।
मोदी अभी से ही गांवों में बीजेपी को मजबूत करने की रणनीति बना रहे हैं। उसी हिसाब से काम कर रहे हैं। यही बात मोदी को दूसरे नेताओं से अलग बनाती है।
मुझे लगता है कि केस की मेरिट का भी ध्यान रखा जाना चाहिए और इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि ऐसे मामलों में दोनों तरफ से सियासत न हो।
मुझे लगता है कि हिजाब के एक स्थानीय मुद्दे को जानबूझकर राष्ट्रीय स्तर पर एक विवाद बनाने की कोशिश की जा रही है।
देश हिजाब जैसे विवाद से आगे निकल चुका है लेकिन अपने सियासी फायदे के लिए इसका इस्तेमाल हो रहा है और लोग अपने-अपने ढंग से मतलब निकाल रहे हैं।
जब तक कर्नाटक हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट सारे पक्षों को सुन न लें और कोई फैसला न दें, तब तक इस मामले में किसी भी तरह का विवाद खड़ा करने से बचना चाहिए।
इस बजट में आपको हर क्षेत्र में डिजिटल की छाप दिखाई देगी। नए जमाने की हवा दिखाई देगी। यह नए डिजिटल इंडिया की तस्वीर है।
अगर किसी को दो साल से ज्यादा की सजा होती है तो वह चुनाव नहीं लड़ सकता। लेकिन सजा होने में 20 साल लग जाते हैं, तब तक वो कई बार चुनाव लड़ चुका होता है और कई बार तो मंत्री भी बन चुका होता है।
पिछड़े वर्गों का समर्थन हासिल करने की एक बड़ी कोशिश के तहत बीजेपी ने बुधवार को अपना दल और निषाद पार्टी के साथ गठबंधन का ऐलान किया।
अखिलेश और प्रियंका अपनी-अपनी पार्टियों के लिए मुस्लिम वोटों को लुभाने की कोशिश तो कर रहे हैं लेकिन पर्दे के पीछे से। समाजवादी पार्टी औऱ कांग्रेस यह मानती है कि योगी आदित्यनाथ को मुसलमान वोट नहीं देंगे।
हमें यह याद रखना चाहिए कि वैक्सीन हमारा सुरक्षा कवच है। वैक्सीन लगी होगी तो कोरोना आपको छूकर निकल जाएगा और आपका कुछ बिगाड़ नहीं पाएगा।
सैनिक किसी पार्टी का नहीं होता। सैनिक पूरे देश का होता है। उसकी शहादत को सियासत का मोहरा बनाना ठीक नहीं है।
टेनी को इस बात की आदत पड़ गई है कि वो गलती खुद करते हैं और सजा दूसरों को देते हैं। बेटे से जुड़े सवाल पूछने पर अपशब्द कहना, धमकी देना, कैमरा बंद करा देना, दादागिरी नहीं तो और क्या है?
अध्यात्म, परोपकार और भक्ति में डूबे रहनेवाले वाराणसी के लोग यह मानते थे कि काशी की गलियों की हालत कभी नहीं सुधरेगी।
बिपिन रावत जनता के जनरल थे। उन्होंने सिर्फ दुश्मनों पर जीत हासिल नहीं की बल्कि जनता के दिलों को भी जीता। लोगों के दिलों में उनकी जगह हमेशा बनी रहेगी।
इस केस में जिसकी भी गलती हो उसकी पहचान करके कार्रवाई होनी चाहिए और नरसंहार का केस चलना चाहिए। दुख की बात यह है कि इस मामले में भी सियासत हो रही है।
पंजाब के किसान नेताओं ने साफ-साफ कहा कि वे संयुक्त किसान मोर्चे को तोड़ेंगे नहीं लेकिन उन्हें यकीन है कि चार दिसंबर को ये तय हो जाएगा कि किसान कब अपने घरों को वापस लौटेंगे।
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