बीजेपी को भी इस बात पर आत्ममंथन करना चाहिए कि इतना परिश्रम, इतना काम और इतनी कल्याणकारी योजनाओं लागू करने के बाद भी उनकी सीटें कम क्यों हुईं।
दिल्ली में कांग्रेस औऱ आम आदमी पार्टी का अलायन्स है, दोनों मिलकर लड़ रहे हैं, लेकिन इस बार भी बीजेपी के लिए हालात मुश्किल नहीं दिखते क्योंकि अरविन्द केजरीवाल भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन करके सत्ता में आए और आज वो खुद रिश्वत के कई मामलों में फंसे हैं।
पीएम मोदी ने संपूर्णानंद संस्कृत महाविद्यालय में नारी शक्ति संवाद कार्यक्रम में करीब 25 हजार महिलाओं को संबोधित किया। इस कार्यक्रम की खास बात ये थी कि इसमें पूर्वी उत्तर प्रदेश की महिलाएं ही मौजूद थीं। मंच का संचालन भी महिलाओं ने किया।
अगर एक मिनट के लिए शरद पवार की बात मान भी ली जाए कि मोदी की लोकप्रियता कम हुई है, तो पवार साहब ये तो बता दें कि किसकी लोकप्रियता बढ़ी है? पवार साहब की? जिनका भतीजा साथ छोड़ गया।
ये सारी की सारी घटना चौंकाने वाली, चिंता में डालने वाली है। अब पुलिस इस मामले की हर एंगल से जांच करेगी। इसमें कानून और सार्वजनिक सहानुभूति स्वाति के साथ है, राजनीतिक हालात उनके पक्ष में है, इसीलिए केजरीवाल की मुश्किलें काफी बढ़ सकती हैं।
केजरीवाल बहुत चालाक हैं, लेकिन जनता उनसे ज्यादा चतुर है। सब इस बात को समझते हैं कि चूंकि विरोधी दल मोदी की लोकप्रियता से घबराने लगे हैं, वो जानते हैं कि मोदी का मुकाबला नहीं कर सकते, योगी भी लोकप्रिय हैं, इसलिए योगी के जाने और मोदी की जगह अमित शाह के आने का डर दिखाओ, पब्लिक को कन्फ्यूज करो।
सिर्फ दावों की बात की जाए तो विरोधी दलों के दावे बिलकुल गलत साबित हुए हैं। लेकिन मोदी इस बात की ज्यादा परवाह नहीं करते कि उनकी पार्टी जीत की तरफ बढ़ रही है। वो हर हालत में मेहनत में कोई कसर नहीं छोड़ते और हर रोज विरोधी दलों को मुश्किल में डालने वाला एक नया मुद्दा उठा देते हैं।
रायबरेली से राहुल मैदान में हैं और अमेठी से के एल शर्मा। अगर ये दोनों सीटें खतरे में पड़ीं तो यूपी कांग्रेस मुक्त हो जाएगा। बीजेपी इसी लक्ष्य को ले कर चल रही है। और गांधी नेहरु परिवार इसी बात से डरा हुआ है।
भारत जैसे विविधताओं वाले देश में जहां हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी और दूसरे समुदाय मिल जुलकर रहते हैं, मिली-जुली आबादी है, वहां जनसंख्या का असंतुलन होने से बहुत सारी समस्याएं पैदा होती हैं। समाज का ताना-बाना टूटता है।
आज सबसे पहले मैं बात करना चाहता हूं...DeepFake के बारे में...इंडिया टीवी के दर्शक मुझे बार बार अलर्ट करते हैं कि मेरे नाम से...मेरा चेहरा दिखाकर ..मेरी आवाज बनाकर...कुछ दवाईयां बेची जा रही हैं...कोई weight loss की दवाई बेच रहा है...तो कोई डायबिटीज की..मैं किसी तरह की किसी दवाई का कोई विज्ञापन नहीं क
अगर पाकिस्तान के नजरिए से देखें, तो पाकिस्तान को भारत में एक कमज़ोर सरकार चाहिए, एक कमजोर प्रधानमंत्री चाहिए। पाकिस्तान की मोदी से यही प्रॉब्लम है। मोदी एक मजबूत प्रधानमंत्री हैं।
Rajat Sharma Blog | राहुल आजकल अपनी हर चुनावी सभा में जब दलितों की बात करते हैं, जब मोदी को आदिवासियों का दुश्मन बताते हैं तो इसी क्रम में वो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी ले आते हैं। राहुल कहते हैं कि मुर्मू को मंदिर में इसीलिए नहीं बुलाया गया कि वो आदिवासी हैं।
असल में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन मुस्लिम और यादव वोट बैंक के भरोसे हैं। अखिलेश यादव और राहुल गांधी की जोड़ी को लगता है कि अगर यूपी में उनके उम्मीदवारों को एकमुश्त मुस्लिम वोट मिलता है तो कई सीटों पर बीजेपी को फाइट दी जा सकती है।
वो जानते हैं कि EVM ने हमारी चुनावी प्रक्रिया को कितना सुरक्षित बनाया है। मुझे लगता है जिन लोगों ने EVM पर सवाल उठाए, अब उन्हें अक्ल आ गई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने हर पहलू पर विचार करने के बाद फैसला किया है।
मोदी सरकार पाकिस्तान में बैठे आतंकवादियों का खात्मा कर रही है। इसकी हकीकत तो किसी को पता नहीं लगेगी लेकिन अगर सरकार ने एजेंसियों को छूट दी है, तो ये कोई गलत बात नहीं है क्योंकि मुंबई में हमला करने वाले हैंडलर्स पाकिस्तान में बैठे हैं । सरकार ने बीसियों बार सबूत दिए। पाकिस्तान ने क्या किया?
मुझे नहीं लगता कि इस तरह के हार्डकोर क्रिमिनल की मौत पर ज्यादा आंसू बहाने की जरूरत है। लेकिन फिर भी जो लोग उसकी मौत की असली वजह जानना चाहते हैं उन्हें ज्यूडिशियल मजिस्ट्रैट की जांच रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए।
सत्तर और अस्सी के दशक में उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा और एक गिरोह में शामिल हो गया, जो कोयला, रेलवे निर्माण, कबाड़ की बिक्री, लोक निर्माण और शराब के ठेकों को हथियाने के लिए बाहुबल का इस्तेमाल किया करता था।
अखिलेश के लिए ये चुनाव अस्तित्व का सवाल है। हालांकि वो आज़म खान की बात सुनते हैं लेकिन रामपुर से चुनाव लड़ने की बात नहीं मानी, इसीलिए इतना कन्फ्यूजन पैदा हुआ।
किसी भी महिला या किसी भी व्यक्ति के बारे में इस तरह के कमेंट नहीं होने चाहिए। राजनीति में चुनाव के दौरान एक दूसरे पर हमले होते हैं लेकिन ये व्यक्तिगत हों, किसी के परिवार पर सवाल उठाए जाएं, ये ठीक नहीं हैं।
सुप्रिया श्रीनेत अब सफाई दे रही हैं लेकिन इससे बात नहीं बनेगी क्योंकि उनके सोशल मीडिया अकाउंट से कंगना रनौत के बारे में जिस तरह का कमेंट किया गया उसे किसी भी तरह से जस्टिफाई नहीं किया जा सकता। ये गलत था और सुप्रिया श्रीनेत की ये गलती कांग्रेस को भारी पड़ सकती है।
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