अखिलेश के लिए ये चुनाव अस्तित्व का सवाल है। हालांकि वो आज़म खान की बात सुनते हैं लेकिन रामपुर से चुनाव लड़ने की बात नहीं मानी, इसीलिए इतना कन्फ्यूजन पैदा हुआ।
किसी भी महिला या किसी भी व्यक्ति के बारे में इस तरह के कमेंट नहीं होने चाहिए। राजनीति में चुनाव के दौरान एक दूसरे पर हमले होते हैं लेकिन ये व्यक्तिगत हों, किसी के परिवार पर सवाल उठाए जाएं, ये ठीक नहीं हैं।
सुप्रिया श्रीनेत अब सफाई दे रही हैं लेकिन इससे बात नहीं बनेगी क्योंकि उनके सोशल मीडिया अकाउंट से कंगना रनौत के बारे में जिस तरह का कमेंट किया गया उसे किसी भी तरह से जस्टिफाई नहीं किया जा सकता। ये गलत था और सुप्रिया श्रीनेत की ये गलती कांग्रेस को भारी पड़ सकती है।
सार्वजनिक तौर पर अब तक आम आदमी पार्टी का स्टैंड यही रहा है कि केजरीवाल को अगर जेल जाना पड़ा तो भी वो मुख्यमंत्री पद नहीं छोड़ेंगे, ना ही पार्टी के संयोजक पद से इस्तीफा देंगे। वो जेल से ही पार्टी और सरकार दोनों चलाएंगे लेकिन ये व्यावहारिक रूप से सम्भव नहीं है।
कांग्रेस का एक भी बैंक अकाउंट फ्रीज नहीं हुआ। देश भर में कांग्रेस पार्टी के 100 से ज्यादा अकाउंट हैं जिनमें अलग अलग जगह करोड़ों रुपये जमा हैं। इनमें से दिल्ली के पांच बैंकों के 11 अकाउंट्स से इनकम टैक्स ने अपने बकाया पैसे की रिकवरी की है। इन 11 अकाउंट्स को भी फ्रीज नहीं किया गया।
केजरीवाल ने ED के 9 समन को ठुकरा दिया, हाईकोर्ट में ED के नोटिस को चुनौती दी, कोर्ट में भी केजरीवाल की तरफ से यही कहा गया कि ये एक राजनीतिक बदले की कार्रवाई है और उन्हें चुनाव में कैंपेन करने से रोकने के लिए, गिरफ्तार किया जा रहा है।
ये बात अचरज में डालने वाली है कि साजिद और जावेद इन मासूम बच्चों के परिवार को जानते थे, इन बच्चों के मां-बाप ने साजिद और जावेद की मदद की थी, फिर भी उन्होंने ऐसी बर्बरता की।
मोदी की राजनीति बिल्कुल अलग तरह की है। वह दूर की सोचते हैं। पिछले 10 साल में उन्होंने तमिलनाडु के लोगों के दिलों को छूने की कोशिश की है। इसके बहुत सारे उदाहरण हैं।
राहुल गांधी हर थोड़े दिन में कुछ ऐसा कह देते हैं कि उनकी पार्टी के लोग भी परेशान हो जाते हैं। सारी ताकत सफाई देने और लीपापोती करने में लग जाती है। कांग्रेस के एक नेता कह रहे थे कि, क्या करें? राहुल जी full toss फेकेंगे, तो मोदी जी sixer तो लगाएंगे ही।
अगर सारे चुनाव एक साथ हों तो लाखों करोड़ रूपए बचेंगे, वक्त बचेगा और ये संसाधन दूसरे कामों में लगाए जा सकते हैं। लेकिन एक देश, एक चुनाव का लक्ष्य फिलहाल आसान नहीं लगता क्योंकि संविधान में तमाम संसोधन करने होंगे।
पार्टी के सभी सीनियर नेताओं को मान दिया गया, चाहे नितिन गडकरी हों या पीयूष गोयल। उन्हें सम्मानजनक तरीके से अपनी पसंद की सीटें दी गईं, किसी भी ऐसे नेता का टिकट नहीं काटा गया।
बीजेपी ने हरियाणा में चुनाव से पहले जिस तरह नेतृत्व परिवर्तन का फैसला किया, उस तरह के प्रयोग बीजेपी ने पहले भी किए हैं। कर्नाटक को छोड़कर बाकी जगह बीजेपी की रणनीति सफल रही। इसलिए हो सकता है खट्टर को बदलने के पीछे दस साल की एंटी इनकंबैसी से बचने की रणीनीति हो।
CAA का भारतीय नागरिकों से सरोकार नहीं हैं। इसमें किसी भी भारतीय की नागरिकता नहीं जाएगी। ये कानून सिर्फ पड़ोसी देशों में जुल्मों की शिकार अल्पसंख्यकों की मदद के लिए हैं। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भागकर भारत आने वाले हिन्दू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसियों के लिए हैं।
मुश्किल ये है कि जो भारतीय नौजवान रूस और यूक्रेन की जंग में फंस गए हैं, उन्हें जंग के मैदान में भेजने में न तो भारत सरकार की और न ही रूसी सरकार की कोई भूमिका है। ये लोग प्राइवेट एजेंट्स के चक्कर में फंसे और उन्हें प्राइवेट रशियन सशस्त्र ग्रुप के हवाले कर दिया जिनका रूसी सेना से कोई लेना देना नहीं।
बख्शी स्टेडियम में बारह बजे सभा शुरू होनी वाली थी, लेकिन लोगों के पहुंचने का सिलसिला सुबह सात बजे से शुरू हो गया, वो भी सुबह दो डिग्री की ठंड में। अनंतनाग, बारामूला, बडगाम, बांदीपोर, गांदरबल, कुपवाड़ा, कुलगाम, पुलवामा, शोपियां समेत हर इलाके से लोग श्रीनगर पहुंचे।
चूंकि ममता लगातार शेख शाहजहां को बचाने की कोशिश कर रही हैं, इसलिए उनके खिलाफ महिलाओं में गुस्सा पनप रहा है। अगर ममता ने पहले ही दिन शाहजहां को गिरफ्तार कर लिया होता, उसे जेल भेजा होता, तो शायद ये मामला इतना न बढ़ता।
जहां तक ए.राजा का बयान है तो इसमें मैं दो बातें कहना चाहता हूं। पहला ये कि अब ये तर्क नहीं चलेगा कि अभिव्यक्ति की आजादी है, कोई कुछ भी बोल सकता है। सोमवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दुत्व की तुलना मलेरिया और डेंगू से करने वाले DMK नेता उदयनिधि स्टालिन को फटकार लगाई थी।
लगता है विरोधी दलों के नेता मोदी की लाइन पकड़ ही नहीं पाए और लालू ने मोदी के परिवार पर सवाल उठा कर वही गलती कर दी, जो राहुल गांधी ने पिछले चुनाव में चौकीदार पर सवाल उठा कर की थी।
ज्ञानवापी का मामला बहुत नाजुक है। ये सही है कि व्यास जी के तहखाने में 1993 तक पूजा होती थी। ये भी सही है कि कोर्ट ने उसी परंपरा को बहाल किया है। ये फैसला अदालत का है, ये किसी राजनीतिक दल या सरकार का फैसला नहीं है।
बहरहाल, हेमंत सोरेन के सारे दांवपेंच फेल हो गए। दो महीने तक भागने के बाद वो ED के शिंकजे में आ गए। अब उनसे ED की हिरासत में पूछताछ की जाएगी।
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