पूर्वी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एम एम नरावने ने शुक्रवार को कहा कि करगिल में जबरदस्त हार के बावजूद ऐसा लगता नहीं है कि पाकिस्तान ने इससे कोई सबक लिया है क्योंकि वह लगातार संघर्षविराम का उल्लंघन कर रहा है।
20 Years of Kargil War: हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में जन्मे कैप्टन विक्रम बत्रा ने 1996 में भारतीय सेना की संयुक्त रक्षा परीक्षा पास की और सेना में कमिशन लेकर लेफ्टिनेंट बने।
करगिल की लड़ाई अपने आप में कई राज छुपाए हुए है। उस समय क्या हुआ था ये कोई नहीं जानता। हर कोई अलग-अलग अंदाजा लगाता है। हम आज आपको बताने जा रहे हैं करगिल से जुड़े कुछ अहम राज जिन्हें जानकर आप हैरान हो जाएंगे।
आज से 20 साल पहले भारतीय सेना के एक युवा अधिकारी ने बहादुरी की वह दास्तान लिखी थी, जिसे याद करके आज भी हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।
कारगिल युद्ध में 540 से अधिक वीर योद्धा शहीद और 1300 से ज्यादा घायल हुए थे जिनमें से अधिकांश अपने जीवन के 30 वसंत भी नही देख पाए थे। इन शहीदों ने भारतीय सेना की शौर्य व बलिदान की उस सर्वोच्च परम्परा का निर्वाह किया, जिसकी सौगन्ध हर सिपाही तिरंगे के समक्ष लेता है।
कारगिल विजय दिवस के मौके पर पूरा देश वीर जवानों को नमन कर रहा है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी। राजधानी दिल्ली में भी इस मौके पर शहीदों को नमन करने के लिए कार्यक्रम आयोजिन किए जाएंगे।
साल 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच करगिल युद्ध लड़ा गया था। पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा को पार कर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की थी और रणनीतिक तौर पर अहम चोटियों पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद भारत ने 'ऑपरेशन विजय' चला कर उन्हें खदेड़ दिया था।
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले से भारतीय सेना में भर्ती हुए राइफलमैन (अब सूबेदार) संजय कुमार ने कारगिल की लड़ाई के दौरान संजय कुमार ने जिस साहस और बहादुरी से दुश्मन का खात्मा किया उसकी मिसाल दी जाती है
संपादक की पसंद
लेटेस्ट न्यूज़