हैदराबादः तेलंगाना हाई कोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार को स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण पर सिफारिशें देने के लिए तीन महीने के भीतर एक समकालीन इमपेरिकल सर्वे (empirical survey) करने का निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति जे श्रीनिवास राव की पीठ ने ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनावों सहित स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़े वर्गों के लिए श्रेणी-वार आरक्षण लागू करने की मांग करने वाली याचिकाओं पर निर्देश जारी किया।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का दिया हवाला
पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के एक निर्देश का हवाला दिया कि राज्यों को आरक्षण निर्धारित करने से पहले स्थानीय निकाय या विशिष्ट स्थानीय निकाय की "क्वांटम योग्यता" की पहचान करने के लिए समकालीन इमपेरिकल सर्वे करनी चाहिए। महाधिवक्ता ने न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया कि "विकास किशनराव गवली बनाम महाराष्ट्र राज्य (2021) 6 एससीसी 73 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के पैराग्राफ 13 में निहित निर्देशों को तीन महीने की अवधि के भीतर लागू किया जाएगा।
अनुपालन रिपोर्ट पेश करने को कहा
कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश जारी करते हुए अनुपालन रिपोर्ट पेश करने को भी कहा। याचिकाएं बीसी नेता जाजुला श्रीनिवास गौड़, येरा सत्यनारायण, दासोजू श्रवण कुमार और अन्य द्वारा दायर की गई थीं। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि सर्वेक्षण होने के बाद ही स्थानीय निकायों के लिए चुनाव अधिसूचना जारी की जानी चाहिए। बीसी आयोग के सूत्रों ने कहा कि 2021 में तेलंगाना सरकार ने पिछड़ा आयोग को मान्यता दी और इसे इमपेरिकल सर्वे करने की शक्तियां दीं। राज्य में पिछड़ेपन की सीमा का आंकलन करने के लिए सर्वेक्षण भी किया जाएगा।
इनपुट-पीटीआई