हैदराबाद: तेलंगाना विधानसभा चुनाव को लेकर 30 नवंबर को होने वाले मतदान के लिए धुंआधार चुनाव प्रचार अभियान मंगलवार शाम 5 बजे थम जाएगा, जहां का चुनावी मौसम अन्य चार राज्यों - मिजोरम, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम की तुलना में काफी लंबा रहा। इन चारों राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हो चुका है। निर्वाचन आयोग द्वारा 9 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई थी।
सत्ता में वापसी के लिए जी जान लगा रही कांग्रेस
भारत राष्ट्र समिति (BRS) लगातार तीसरी बार सत्ता बरकरार रखने की कोशिश में है जबकि कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए जी जान लगा रही है और भाजपा ने भी सत्ता में आने की कोशिश में कोई कसर नहीं छोड़ी है। आगामी चुनाव में बीआरएस प्रमुख और राज्य के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर), उनके पुत्र केटी रामा राव, तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ए. रेवंत रेड्डी और भाजपा के लोकसभा सदस्य बंदी संजय कुमार, डी. अरविंद और सोयम बापूराव समेत 2,290 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। केसीआर कामारेड्डी और गजवेल से अपनी किस्मत आजमाएंगे, वहीं रेवंत रेड्डी कोडंगल और कामारेड्डी से चुनाव लड़ेंगे।
भाजपा ने अपने विधायक एटाला राजेंद्र को हुजूराबाद के अलावा गजवेल से मैदान में उतारा, जहां से वह मौजूदा विधायक हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान सोमवार को हैदराबाद में रोड शो किया तथा कई जनसभाओं को संबोधित किया। मतों की गिनती तीन दिसंबर को होगी।
क्या है कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक?
तेलंगाना चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन मंगलवार को सोनिया गांधी भी रोड शो करके वोटरों को लुभाने की कोशिश करेंगी, लेकिन इन बड़े नेताओं के बीच कांग्रेस ने तेलंगाना में एक नए फॉर्मूले पर काम कर रही है, जो इसके लिए ट्रंप कार्ड साबित हो सकता है। दरअसल, कांग्रेस ने यहां के वोटरों को अपनी तरफ खींचने के लिए कर्नाटक के सीएम, डिप्टी सीएम समेत करीब 3-4 नेताओं को यहां उतार दिया है। कर्नाटक सरकार का 75% मंत्रिमंडल तेलंगाना में चुनावी प्रचार संभाले हुए है। कर्नाटक में कांग्रेस ने बीजेपी को बड़ी शिकस्त दी थी। इसके अलावा उसकी पांच गारंटी भी वहां काफी चर्चित रही। इसी योजना को अपनाते हुए कांग्रेस ने तेलंगाना में 6 गारंटी पेश की है।
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