Saturday, November 23, 2024
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MBBS, BDS कॉलेज में एडमिशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपनाया नरम रुख, तेलंगाना सरकार से पूछा यह सवाल

तेलंगाना उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि राज्य के स्थायी निवासियों को केवल इसलिए मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि वे पिछले चार वर्षों से बाहर रह रहे हैं और उन्होंने कक्षा 9, 10, 11 और 12 में राज्य के स्कूलों में पढ़ाई नहीं की है।

Edited By: Shakti Singh
Published on: September 30, 2024 23:37 IST
SC on telangana Government Rule- India TV Hindi
Image Source : PTI तेलंगाना सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को MBBS, BDS कॉलेज में एडमिशन को लेकर तेलंगाना सरकार के नियम पर सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने नरम रुख अपनाते हुआ कहा कि मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश देने के लिए निवास प्रमाण पत्र की मांग करने में तेलंगाना का हित है और इसे गलत नहीं ठहराया जा सकता। हालांकि, इसके साथ ही कोर्ट ने तेलंगाना सरकार से पूछा कि क्या यह नियम अगले शैक्षणिक सत्र से लागू नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि मौजूदा सत्र में इस नियम को नहीं लागू करने पर सरकार को विचार करना चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने तेलंगाना सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन से कहा, "हम इसे गुरुवार (4 अक्टूबर) को रखेंगे। बस सभी छात्रों को नोटिस दें और कृपया सामाजिक परिणामों पर ध्यान दें और देखें कि क्या नियम अगले साल से लागू किए जा सकते हैं।" 

क्या था तेलंगाना हाई कोर्ट का फैसला

तेलंगाना उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि राज्य के स्थायी निवासियों को केवल इसलिए मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि वे पिछले चार वर्षों से बाहर रह रहे हैं और उन्होंने कक्षा 9, 10, 11 और 12 में राज्य के स्कूलों में पढ़ाई नहीं की है। इस फैसले के खिलाफ तेलंगाना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। तेलंगाना सरकार ने तेलंगाना मेडिकल और डेंटल कॉलेज प्रवेश (एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश) नियम, 2017 को 2024 में संशोधित किया है। इस नियम के तहत यह अनिवार्य किया है कि केवल वे छात्र, जिन्होंने पिछले चार वर्षों से कक्षा 12 तक राज्य में पढ़ाई की है, वे ही राज्य कोटे के तहत मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में प्रवेश के हकदार होंगे।

पीठ ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले एक रियायत दी थी कि वह 135 छात्रों को एक बार की छूट देगी, जिन्होंने 85 प्रतिशत राज्य कोटे की सीटों के तहत मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में प्रवेश की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था। शंकरनारायणन ने कहा, "शायद हमने जो रियायत दी थी, वह सही नहीं थी।" सीजेआई ने कहा, "निवास के लिए दबाव डालने में राज्य का वैध हित है।" उन्होंने कहा कि राज्य कोटे के तहत प्रवेश चाहने वाले छात्रों के पक्ष में एकमात्र बात यह है कि राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय में जाने वाले छात्रों के पक्ष में रियायत दी है।

राज्य सरकार से मांगा सुझाव

पीठ ने सुझाव दिया, "अगले सत्र से इस नियम को लागू किया जाए।" और अगली सुनवाई की तारीख पर राज्य सरकार से राय मांगी। पीठ ने कहा कि तेलंगाना के कुछ छात्र "मूल निवासी" हो सकते हैं जो पढ़ाई करने के लिए बाहर गए हैं और उन्होंने उन पर भी सरकार से राय मांगी है। शीर्ष अदालत ने 20 सितंबर को उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी थी जिसमें कहा गया था कि स्थायी निवासियों या राज्य में रहने वाले लोगों को केवल इसलिए मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता क्योंकि वे तेलंगाना के बाहर अध्ययन या निवास कर रहे हैं। हालांकि, उस दिन राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय में जाने वाले 135 छात्रों को मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में प्रवेश में एक बार की छूट देने पर सहमति जताई थी।

तेलंगाना सरकार के वकील के दलील

शंकरनारायणन के अलावा, वकील श्रवण कुमार करनम भी राज्य सरकार की ओर से पेश हुए। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के 5 सितंबर के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका पर छात्रों और अन्य को नोटिस जारी किया था। पीठ ने कहा था, "अगली सुनवाई तक, तेलंगाना सरकार द्वारा दिए गए उपरोक्त बयान पर बिना किसी पूर्वाग्रह के, 5 सितंबर, 2024 को उच्च न्यायालय के विवादित आदेश पर रोक रहेगी।"

तेलंगाना सरकार की अपील

अपनी अपील में, राज्य सरकार ने तर्क दिया कि उच्च न्यायालय ने गलत तरीके से माना है कि तेलंगाना मेडिकल और डेंटल कॉलेज प्रवेश (एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश) नियम, 2017 के नियम 3 (ए), जैसा कि 2024 में संशोधित किया गया है, की व्याख्या इस प्रकार की जानी चाहिए कि प्रतिवादी तेलंगाना के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए पात्र होंगे।नियम में अनिवार्य किया गया है कि तेलंगाना मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश चाहने वाले छात्रों को योग्यता परीक्षा से पहले राज्य में लगातार चार साल तक अध्ययन करना होगा।

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