अब तक भारतीय जनता पार्टी को शहरों और स्मारकों के नाम बदलने पर घेरने वाली कांग्रेस भी उसी राह चल पड़ी है। दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी अगर तेलंगाना की सत्ता में आती है तो राज्य के मुख्यमंत्री के शिविर कार्यालय-सह-आधिकारिक आवास ‘प्रगति भवन’ का नाम बदलकर ‘प्रजा पालना भवन’ कर दिया जाएगा। इतना ही नहीं राहुल ने कहा कि प्रगति भवन का नाम बदलकर प्रजा पालना भवन कर दिया जाएगा जिसके दरवाजे सभी के लिए 24 घंटे खुले रहेंगे।
24 घंटे जनता के लिए खुला रहेगा प्रजा पालना भवन
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आज तेलंगाना में कई जगहों पर चुनावी रैलियों को संबोधित किया और एक ‘पदयात्रा’ भी निकाली। राहुल गांधी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि तेलंगाना के चुनाव में कांग्रेस की जीत ‘प्रजाला’ (जनता के) तेलंगाना के स्वर्णिम कालखंड की शुरुआत करेगी। राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘कांग्रेस की जीत ‘प्रजाला तेलंगाना’ के स्वर्णिम कालखंड की शुरुआत करेगी। प्रगति भवन का नाम बदलकर प्रजा पालना भवन कर दिया जाएगा जिसके दरवाजे सभी के लिए 24 घंटे खुले रहेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री और सभी मंत्री नियमित ‘प्रजा दरबार’ लगाएंगे और लोगों की शिकायत सुनकर 72 घंटे के अंदर उनका निस्तारण करेंगे। जवाबदेह, पारदर्शी और जनता का पहला ‘प्रजाला तेलंगाना’ बनाने में हमारे साथ आइए। बदलाव जरूरी है। कांग्रेस का आना जरूरी है।’’
"पंचायती राज में ओबीसी आरक्षण बढ़ाकर 42 प्रतिशत करेंगे"
वहीं इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि तेलंगाना विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी के लिए समर्थन का 'तूफान' आने वाला है और राज्य में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) बुरी तरह हारेगी। गांधी ने पिनापाका, नरसमपेट और वारंगल में चुनावी रैलियों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि कांग्रेस सत्ता में आई तो वह पंचायती राज व्यवस्था में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण को 23 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत कर देगी। उन्होंने कहा कि इससे तेलंगाना में 24,000 पंचायत स्तर के नए नेताओं के उभरने का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को उम्मीद थी कि जब तेलंगाना का गठन हुआ, तो पिछड़े वर्गों, दलितों और आदिवासियों को ‘‘राजनीति में जगह मिलेगी।’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद पहला कदम जाति आधारित सर्वेक्षण कराना होगा। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘हम जानना चाहेंगे कि इस देश में पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कितने लोग हैं। यदि पिछड़ों की आबादी 50 फीसदी है तो उनकी भागीदारी 50 फीसदी होनी चाहिए।’’
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