तेलंगाना में रेवंत रेड्डी की सरकार जनसंख्या नियंत्रण से जुड़ा एक नियम खत्म करने के बारे में सोच रही है। दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्तियों को ग्रामीण स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने से रोकने वाले प्रतिबंध को हटाने का एक प्रस्ताव तेलंगाना सरकार के विचाराधीन है। सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के सूत्रों ने शनिवार को कहा कि सरकार पुरानी नीति पर वापस जाने के बारे में सोच रही है, जिसे 1990 के दशक में अविभाजित आंध्र प्रदेश की सरकार ने बदल दिया था।
तेलंगाना में शहरी स्थानीय निकायों के लिए दो बच्चों के मानदंड को पहले ही निरस्त कर दिया गया था। आंध्र प्रदेश विधानसभा ने हाल ही में एक विधेयक पारित किया है, जो पिछले नियम को उलटते हुए दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्तियों को भी शहरी स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने में सक्षम बनाता है।
परिसीमन से जुड़ा है मामला?
विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने हाल के दिनों में चिंता व्यक्त की है कि आगामी परिसीमन प्रक्रिया में दक्षिणी राज्यों में लोकसभा सीट की संख्या घट जाएगी। इसी वजह से दक्षिण भारतीय राज्यों की सरकारें आबादी बढ़ाने के बारे में भी सोच रही हैं। तेलंगाना में वो लोग स्थानीय निकाय चुनाव नहीं लड़ सकते हैं, जिनके दो से ज्यादा बच्चे हैं। यह मानदंड इसलिए लाया गया था, ताकि स्थानीय प्रतिनिधि परिवार नियोजन और जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जागरुक रहें और अन्य लोगों में भी इसके प्रति जागरुकता फैलाएं।
जनसंख्या का परिसीमन पर क्या असर?
आगामी परिसीमन में आबादी कम होने पर दक्षिण भारतीय राज्यों की सीटें कम हो सकती हैं, जबकि यूपी जैसे बड़ी आबादी वाले राज्यों की सीटें बढ़ सकती हैं। ऐसा होने पर लोकसभा में दक्षिण भारतीय सांसदों की संख्या कम होगी और दक्षिण भारत में मजबूत पकड़ रखने वाली पार्टियों की ताकत संसद में कम होगी। इसी से बचने के लिए नेता आबादी बढ़ाने के बारे में विचार कर रहे हैं। (इनपुट- पीटीआई भाषा)