हैदराबाद। तेलंगाना सरकार ने हिंदू, इसाई और मुस्लिम समाज के लिए कोविड-19 मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यह अतिरिक्त दिशा-निर्देश राज्य सरकार द्वारा गठित समिति ने तैयार किए हैं। समिति ने इससे पहले जो दिशा-निर्देश जारी किए थे वो केवल मुस्लिम समाज के लिए थे, क्योंकि राज्य में अभी तक कोविड-19 से जितनी भी मृत्यु हुई हैं वो केवल मुस्लिम समाज में हुई थीं। लेकिन अब अन्य समाज के लोगों के भी कोविड-19 से मरने के कारण अतिरिक्त दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
तेलगांना में कोविड-19 से अबतक कुल 11 लोगों की मौत हुई है, हालांकि मरने वाले व्यक्ति की जानकारी को गोपनीय रखा जाता है लेकिन ऐसा अनुमान है कि मरने वालों में से एक गैर-मुस्लिम है।
किसी भी संशय को खत्म करने के लिए अधिकारियों ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रत्येक धर्म के लिए अंतिम संस्कार हेतु अलग-अलग दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। अधिकारियों ने कहा कि यद्धपि विभिन्न धर्मों के लिए विशिष्ट दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, लेकिन सभी धर्मों के लिए शवों को संभालने की प्रक्रिया अनिवार्य रूप से एक समान ही रहेगी।
कोविड-19 से मौत के सभी मामलों में यह अनिवार्य किया गया है शवों को पैक करने और शमशान घाट तक अस्पताल के वाहन से ले जाने की पूरी जिम्मेदारी नामित व्यक्ति की होगी। शमशान घाट में केवल पांच लोगों के जाने की ही अनुमति होगी। परिवारजनों को शव सौंपने की अनुमति नहीं है। सभी धर्म के लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना अनिवार्य है।
हालांकि, धार्मिक अनुष्ठानों के मुताबिक, हिंदू शवों को जलाने जबकि मुस्लिम और इसाई कोविड-19 शवों को धार्मिक पद्धति से दफनाने की अनुमति दी गई है। भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक कोविड-19 से मरने वाले व्यक्ति के शव को परिवारजनों द्वारा छूने, चूमने या गले लगाने की मनाही है। परिवारजन सुरक्षित दूरी से अंतिम संस्कार कर सकते हैं।
धार्मिक अनुष्ठानों जैसे मंत्रों का जाप, पवित्र जल का छिड़काव और शव को स्पर्श किए बगैर किए जाने वाले सभी प्रक्रियाओं का पालन किया जा सकता है। मृत शरीर को नहलाना, चूमना और गले लगाना पूरी तरह प्रतिबंधित है।
दाह संस्कार या दफनाने के बाद सभी कर्मचारियों और परिवारजनों को हैंड सैनीटाइज करना अनिवार्य है। अंतिम संस्कार के बाद मृत शरीर की राख से कोई जोखिम नहीं है और अंतिम क्रिया के लिए इसे एकत्रित किया जा सकता है।