हैदराबाद: तेलंगाना के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत करीब 6 हजार जूनियर डॉक्टरों ने मंगलवार को दूसरे दिन भी अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखी। इससे सामान्य स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रभावित हुईं। स्वास्थ्य मंत्री सी. दामोदर राजा नरसिम्हा के साथ सोमवार शाम को हुई बातचीत में गतिरोध दूर नहीं हुआ। इसके बाद जूनियर डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल जारी रखी। डॉक्टरों ने आउट पेशेंट सर्विस, वैकल्पिक सर्जरी और वार्ड ड्यूटी का बहिष्कार किया। हालांकि, वे आपातकालीन ड्यूटी पर मौजूद थे। तेलंगाना जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (टी-जेयूडीए) का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती, हड़ताल जारी रहेगी।
क्या है डॉक्टरों की मांगें?
डॉक्टरों की मांगों में समय पर वेतन वितरण के लिए ग्रीन चैनल की स्थापना, सुपर स्पेशलिटी वरिष्ठ रेजिडेंटों के लिए मानदेय, अस्पतालों में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए पुलिसकर्मियों की तैनाती, नये हॉस्टलों का निर्माण, मेडिकल कॉलेजों में पर्याप्त फैकल्टी और उस्मानिया जनरल अस्पताल (ओजीएच) के लिए एक नया भवन शामिल है।
सरकार ने हड़ताली डॉक्टरों की कुछ मांगों पर पॉजिटिव प्रतिक्रिया दी। साथ ही उनसे यह सुनिश्चित करने की अपील की कि स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित न हों।
1 हजार जूनियर डॉक्टर कर रहे अपनी ड्यूटी का बहिष्कार
हैदराबाद के गांधी अस्पताल और ओजीएच के करीब एक हजार जूनियर डॉक्टर अपनी ड्यूटी का बहिष्कार कर रहे हैं। अपनी मांगों के समर्थन में तख्तियां लेकर जूनियर डॉक्टरों ने दोनों प्रमुख सरकारी अस्पतालों में विरोध प्रदर्शन किया। टीजेयूडीए के अध्यक्ष डॉ. जी साई श्री हर्ष ने कहा कि अस्पतालों में सुरक्षा उनकी मुख्य मांग है। सरकार ने 2019 में डॉक्टरों को सुरक्षा देने के लिए एक विशेष सुरक्षा बल (एसपीएफ) तैनात करने पर सहमति जताई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। स्वास्थ्य मंत्री ने सोमवार को चिकित्सा शिक्षा निदेशक (डीएमई) डॉ. एन वाणी को गृह विभाग के प्रमुख के साथ बैठक कर एसपीएफ की तैनाती पर चर्चा करने का आदेश दिया। (IANS इनपुट्स के साथ)