
तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में श्रीशैलम सुरंग नहर परियोजना के निर्माणाधीन खंड के अंदर फंसे आठ लोगों को निकालने के लिए शनिवार को बचाव अभियान तेज कर दिया गया और अधिकारियों ने सुरंग में प्रवेश करने वाले दलों का मार्गदर्शन करने के लिए ड्रोन तैनात किए हैं। इस बीच श्रीशैलम बांध के पास बचाव कार्यों में सहायता के लिए भारतीय सेना के टास्क फोर्स की तैनाती कर दी गई है। बता दें कि मौके पर एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को मौके पर तैनात कर दिया गया है। वहीं भारतीय सेना की एक इंजीनियर रेजिमेंट, जो सिकंदराबाद में इन्फैंट्री डिवीजन का हिस्सा है, उसे राहत बचाव को सपोर्ट करने के लिए एक्सकेवेटर डोजर के साथ स्टैंडबाय पर रखा गया है।
सेना ने संभाला मोर्चा
बता दें कि तेलंगाना सरकार के मुख्य सचिव से आदेश मिलने के बाद सेना ने तुरंत मोर्चा संभाल लिया और इस बचाव अभियान के लिए अपने इंजीनियर टास्क फोर्स यानी ईटीएफ को एक्टिव कर दिया। यह टीम राहत बचाव से संबंधित कई तरह की उपकरणों और सुविधाओं से लैस है। इस टास्क फोर्स के कमांडर खुद घटनास्थल पर मौजूद हैं और नागरिकों तथा प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। वहीं इस घटना पर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश मुख्यालय द्वारा बारीकी से नजर रखी जा रही है, ताकि सेना, नागरिक अधिकारियों और अन्य बचाव दलों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया जा सके।
क्या बोले अधिकारी
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को फोन किया और सुरंग में फंसे कर्मियों को सुरक्षित निकालने पर चर्चा की। उन्होंने बचाव प्रयासों में हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।’’ नागरकुरनूल जिले में दुर्घटना स्थल पर पत्रकारों से बात करते हुए सिंचाई मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार विशेषज्ञों की मदद ले रही है, जिनमें पिछले साल उत्तराखंड में हुई एक घटना (सिलक्यारा सुरंग हादसे) में फंसे श्रमिकों को बचाने वाले विशेषज्ञ भी शामिल हैं। उन्होंने भारतीय सेना और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) से भी मदद मांगी है। सुरंग में फंसे लोगों में दो इंजीनियर, दो मशीन ऑपरेटर और चार श्रमिक शामिल हैं। सिंचाई मंत्री ने बताया कि श्रमिक सुरंग के 14 किलोमीटर भीतर फंसे हुए हैं। पानी का रिसाव धीरे-धीरे शुरू हुआ और बाद में बढ़ गया, जिससे श्रमिकों को बाहर आना पड़ा।
(इनपुट-भाषा के साथ)