Thursday, November 21, 2024
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अनुच्छेद 370 हटने पर ओवैसी ने जताई चिंता, बोले- जम्मू के डोगरा और लद्दाख के बौद्ध समुदाय को होगा नुकसान

जम्मू-क्श्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से जम्मू के डोगरा और लद्दाख के बौद्ध समुदाय को सबसे ज्यादा नुकसान होगा।

Edited By: Amar Deep
Published on: December 11, 2023 21:03 IST
अनुच्छेद 370 हटने पर ओवैसी ने जताई चिंता।- India TV Hindi
Image Source : PTI अनुच्छेद 370 हटने पर ओवैसी ने जताई चिंता।

हैदराबाद: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का सबसे ज्यादा नुकसान जम्मू के डोगरा और लद्दाख के बौद्ध समुदाय को होगा। इन दोनों समुदायों को जनसांख्यिकी बदलावों का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को उच्चतम न्यायालय द्वारा बरकरार रखे जाने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर प्रतिक्रिया व्यक्त की।

यथाशीघ्र हो विधानसभा चुनाव

ओवैसी ने कहा कि ‘‘केंद्र के फैसले से सबसे ज्यादा नुकसान जम्मू के डोगरा और लद्दाख के बौद्ध समुदायों को होगा, जिन्हें जनसांख्यिकी बदलाव का सामना करना पड़ेगा।’’ उन्होंने सवाल किया कि राज्य का दर्जा बहाल करने पर कोई समय सीमा क्यों नहीं है? ओवैसी ने कहा कि ‘‘जम्मू कश्मीर में दिल्ली (केंद्र) के शासन के पांच साल हो गए हैं। राज्य में 2024 के विधानसभा चुनाव के साथ ही यथाशीघ्र विधानसभा चुनाव होना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि राज्य भारत का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन ऐसा होने का यह मतलब नहीं है कि इसका केंद्र के साथ कोई विशेष संवैधानिक संबंध नहीं है। 

केंद्र सरकार को आगे कोई नहीं रोक पाएगा

उन्होंने कहा कि ‘‘इस संवैधानिक संबंध को कश्मीर के संविधान सभा को भंग कर स्थायी बनाया गया था।’’ ओवैसी ने आरोप लगाया कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने संबंधी केंद्र के फैसले को वैधता मिल जाने के बाद, केंद्र सरकार को चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद या मुंबई को केंद्र शासित क्षेत्र बनाने से कुछ भी नहीं रोक पाएगा। ओवैसी ने लद्दाख के उदाहरण का जिक्र करते हुए कहा कि इसे उप राज्यपाल द्वारा शासित किया जा रहा है और कोई लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व नहीं है। 

संवैधानिक नैतिकता का हुआ उल्लंघन

ओवैसी ने 2019 की एक संगोष्ठी में प्रधान न्यायाधीश द्वारा की गई एक टिप्पणी को उद्धृत करते हुए कहा कि ‘‘सार्वजनिक चर्चा हमेशा ही उन लोगों के लिए एक खतरा है जो इसकी अनुपस्थिति में सत्ता हासिल करते हैं।’’ उन्होंने कहा कि ‘‘संघवाद का यह मतलब है कि प्रांत की अपनी आवाज है और अपनी क्षमता के तहत, इसे संचालित होने की पूरी स्वतंत्रता है। संसद, विधानसभा की जगह कैसे ले सकती है?’’ ओवैसी ने कहा कि जिस तरह से अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया, उनके लिए वह संवैधानिक नैतिकता का उल्लंघन है। 

(इनपुट: भाषा) 

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