Digital Arrest की घटनाएं इन दिनों काफी तेजी से बढ़ी है। केन्द्र सरकार और एजेंसी के आगाह के बाद भी लोग हैकर्स के जाल में फंस रहे हैं। पिछले दिनों सरकार ने इसी मामले में 17,000 वाट्सऐप नंबर ब्लॉक किया है। डिजिटल अरेस्ट का यह नया मामला बेहद चौंकाने वाला है, जिसमें किसी आम शख्स से नहीं बल्कि आईआईटी बॉम्बे में पढ़ने वाले छात्र के साथ ठगी की गई है। यह मामला इसलिए भी डराने वाला है क्योंकि अगर देश के सबसे प्रीमियम टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट के छात्र के साथ अगर इस तरह की ठगी की जा सकती है, तो एक आम इंसान तो आासनी से स्कैमर्स के जाल में फंस जाएंगे।
कैसे हुई ठगी?
IIT बॉम्बे में पढ़ने वाले 25 साल के छात्र को किसी अनजान नंबर से कॉल आया था, जिसमें स्कैमर ने खुद को TRAI यानी दूरसंचार नियामक प्राधिकरण का अधिकारी बताया था। ट्राई के अधिकारी बने स्कैमर्स ने छात्र को कहा कि उसके नंबर से अवैध गतिविधि की शिकायत मिली है, जिसकी वजह से उसका नंबर डिएक्टिवेट कर दिया जाएगा। अगर, उसे अपना नंबर चालू रखना है तो पुलिस से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) लाना होगा। इसी दौरान ट्राई के अधिकारी बने हैकर ने छात्र की कॉल को फर्जी साइबर क्राइम ब्रांच बताकर ट्रांसफर कर दिया।
वीडियो कॉल में छात्र को पुलिस की वर्दी में एक युवक नजर आया। छात्र इससे पहले कुछ समझ पाता कॉल पर मौजूद स्कैमर ने उस पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए। उससे उसका आधार नंबर मांगा और गिरफ्तारी से बचने के लिए 29,500 रुपये UPI करने के लिए कहा। युवक पर प्रेशर बन जाता है और उसे कहा जाता है कि उसका डिजिटल अरेस्ट हो गया है। इसके बदले में और पैसों की डिमांड की जाती है। साथ ही, कहा जाता है कि वो इस दौरान किसी से संपर्क नहीं करेगा।
गिरफ्तारी और बदनामी के डर से युवक ने हैकर्स को अपना बैंक डिटेल दे देता है, जिससे 7.29 लाख रुपये ट्रांसफर किए जाते हैं। कॉल डिसकनेक्ट होने के बाद युवक गूगल पर डिजिटल अरेस्ट सर्च करता है, तब जाकर उसे पता चलता है कि उसके साथ स्कैम हो गया है।
कैसे बचें?
डिजिटल अरेस्ट की घटना इन दिनों आम हो गई है। इससे बचने के लिए आपको सबसे पहले किसी भी अनजान नंबर से आने वाले कॉल्स को इग्नोर करना होगा। कई बार हैकर्स डीपफेक वीडियो और AI जेनरेटेड वॉइस का इस्तेमाल करके ऐसा आभास कराते हैं कि आप सही इंसान से ही बात कर रहे हैं। ऐसे में आपको अपने दिमाग को शांत रखना है और घबराने की बिलकुल भी जरूरत नहीं है। कई बार लोग बदनामी के डर से हैकर्स की हर बात मान लेते हैं और उनके साथ बड़ा फ्रॉड हो जाता है।
पिछले दिनों पीएम मोदी ने भी डिजिटल अरेस्ट को गंभीरता से लेते हुए कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। दूरसंचार विभाग (DoT) और TRAI अपने सोशल मीडिया हैंडल और SMS के जरिए लोगों को डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए लगातार आगाह करते रहते हैं। हैकर्स सोशल इंजीनियरिंग और लोगों के डर का फायदा उठाकर उनके साथ इसमें ठगी करते हैं। लोगों की सतर्कता ही उन्हें डिजिटल अरेस्ट होने से बचा सकती हैं।
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