आज टेक्नोलॉजी इतनी तेज़ी से बदल रही है कि कुछ साल पहले लॉन्च हुए गैजेट्स आज के गैजेट्स के मुकाबले अब करीब-करीब बेकार से लगने लगे हैं। लैपटॉप आए, तो लोग डेस्कटॉप के बजाय लैपटॉप को प्राथमिकता देने लगे, क्योंकि लैपटॉप उतनी जगह नहीं घरते और उन्हें घर या ऑफिस से बाहर जाने पर साथ ले जाना भी संभव होता है। मग़र तेजी से बदलती तकनीक के ज़माने में पुराने पड़ते लैपटॉप को इस्तेमाल करने लायक बनाने के लिए क्या करें, यह एक बड़ा सवाल है।
पुराने कंप्यूटर का ऑपरेटिंग सिस्टम बदलने का वक्त आ गया
क्लाउड कंप्यूटिंग ने स्टोरेज की समस्या का भी समाधान कर दिया है, आप भारी से भारी फाइलें अब क्लाउड पर सेव कर सकते हैं औऱ स्टोरज कम पड़ने पर बढ़ा भी सकते हैं। परेशानी ये है कि उन लैपटॉप्स का क्या करें, जो 5-10 साल पुराने हैं औऱ जिनकी प्रोसेसिंग धीमी हो चुकी है। दरअसल पुराने लैपटॉप में ऑपरेटिंग सिस्टम बहुत भारी-भरकम होते थे और बूट होने में भी काफी वक्त लेते थे। आप इन्हीं पुराने डिवाइस का ऑपरेटिंग सिस्टम क्रोम जैसे हल्के ऑपरेटिंग सिस्टम से बदल दें, तो आपका पुराना लैपटॉप भी तेज़ गति से प्रोसेसिंग करने लगेगा।
पुराने कंप्यूटर को क्रोमबुक में बदला है बेहद आसान
तो अब हम आपको बताते हैं कि अपने विन्डोज़ बेस्ड पुराने कंप्यूटर या मैक को क्रोमबुक बेस्ड कंप्यूटर में कैसे बदलें। नेवरवेयर कंपनी के प्रोग्राम क्लाउड-रेडी की मदद से ऐसा किया जा सकता है। यह सॉफ्टवेयर असल में क्रोमियम के मॉडिफाइड वर्ज़न का इस्तेमाल करता है, जो कि क्रोम का ओपन सोर्स वर्ज़न है। इस ओपन सोर्स वर्ज़न को गूगल थर्ड-पार्टी डेवेलपर्स को उपलब्ध कराती है। अपनी इस टेक्नोलॉजी से अमेरिका में नेवरवेयर स्कूलों की काफी मदद करती है। न्यूयार्क की ये स्टार्टअप कंपनी पुराने होने की वह से बेकार हो चुके कंप्यूटरों को क्रोमबुक में बदलकर फिर से काम करने के लायक बना देती है और स्टूडेंट ऐसे कंप्यूटरों पर अच्छी तरह से काम कर पाते हैं।
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