नई दिल्ली: नोटबंदी के बाद से भारत में ऑनलाइन ट्रांजैक्शंस में बढ़ोतरी देखने को मिली है। इसके अलावा भी लोग तमाम तरह के ऐप्स के जरिए खरीदारी करते हैं और ऑनलाइन भुगतान करते हैं। खरीदारी के अलावा ऑनलाइन बैंकिंग और सेवाओं के ऑनलाइन भुगतान का भी चलन बढ़ा है। और इसी के साथ हैकर्स का खतरा भी बढ़ गया है। हम अक्सर ऑनलाइन धोखाधड़ी के बारे में सुनते हैं। आइए, आज हम आपको उन 5 सबसे आम तरीकों के बारे में बताते हैं जिनका इस्तेमाल कर हैकर्स आपके पैसे पर डाका डालते हैं:
1. फार्मिंग (Pharming)
Pharming में हैकर्स आपको नकली वेबसाइट पर ले जाते हैं जो देखने में बिल्कुल असली वेबसाइट की तरह ही दिखती है। हो सकता है कि ऐसी वेबसाइट्स पर आपको कई तरह के बेहद आकर्षक ऑफर्स दिए जाएं। ऑफर्स के आकर्षण में आकर आप जैसे ही ट्रांजैक्शन करने के लिए अपनी नेटबैंकिंग या कार्ड की डीटेल्स डालते हैं, हैकर्स उन्हें चुरा लेते हैं और आपको आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाते हैं।
2. कीस्ट्रोक लॉगिंग (Keystroke logging)
Keystroke logging वह तरीका है जिसमें आप गलती से कोई ऐसा सॉफ्टवेयर डाउनलोड कर लेते हैं, जो चुपके से आपकी नेटबैंकिंग, कार्ड आदि की डीटेल्स हैकर्स को भेजता रहता है। इसलिए आपको कोई भी ऐप डाउनलोड करने और उसमें नेटबैंकिंग और कार्ड आदि से जुड़ी डीटेल्स डालने से पहले उसके बारे में जानकारी लेनी चाहिए।
3. मैलवेयर (Malware)
Malware एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है जो किसी भी कंप्यूटर सिस्टम को डैमेज कर देता है। यह सॉफ्टवेयर सारे सिक्यॉरिटी फीचर्स को धता बताकर जरूरी जानकारियां हैकर्स तक पहुंचा देता है। हाल ही में कई बैंक ऐसे ही सॉफ्टवेयर के चलते दिक्कत में फंस गए थे।
4. फिशिंग और विशिंग (Phishing & vishing)
Phishing एक ऐसा तरीका है जिसके जरिए स्पैम मेल भेजकर यूजर्स को बेवकूफ बनाया जाता है। इसमें यूजर्स को लगता है कि ईमेल सही जगह से आई है लेकिन वह दरअसल हैकर्स द्वारा भेजी गई होती है। आपको भी कई बार ऐसी ईमेल्स मिलती होंगी जिनमें लाखों-करोडों रुपये जीतने की बात होती होगी। ऐसे ही संदेश जब मोबाइल फोन से SMS के जरिए भेजे जाते हैं तो उसे Vishing कहा जाता है। इस तरीके से हैकर्स यूजर्स को फंसाते हैं और उनसे गोपनीय जानकारियां हासिल कर लेते हैं।
5. सिम बदलना (SIM swipe)
यह वह तरीका है जिसमें हैकर्स आपको फर्जी कागजातों के बल पर आपको मोबाइल ऑपरेटर से डुपलीकेट सिम कार्ड हासिल कर लेते हैं। इसके बाद मोबाइल सर्विस ऑपरेटर आपके असली सिम को डीऐक्टिवेट कर देता है और हैकर्स आपके नंबर पर वन टाइम पासवर्ड (OTP) जेनरेट करके आपको आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाते हैं।