इंटरनेट की दुनिया में पिछले कुछ सालों में कई तरह के ऑनलाइन फ्रॉड, स्कैम और दूसरे साइबर क्राइम के मामले सामने आए हैं। YouTube पूरी दुनिया में सबसे बड़ा वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म है। स्कैमर्स लोगों को ठगने के लिए नए नए तरीके अपना रहे हैं। यूट्यूब और सोशल मीडिया में डीपफेक वीडियो स्कैमर्स का नया हथियार बन चुका है। ऐसे में अपने प्लेटफॉर्म को डीपफेक वीडियो से सुरक्षित रखने के लिए यूट्यूब लगातार नए नए फीचर्स ला रहा है। इसी कड़ी में कंपनी यूजर्स के लिए एक नया फीचर रोलआउट करने जा रही है।
डीपफेक वीडियो पर लगाम कसने के लिए यूट्यूब पिछले एक साल से कड़ी मेहनत कर रहा है। कंपनी इस साल जून के महीने में वीडियो स्ट्रीमिंग जाइंट प्राइवेसी प्रोसेस को अपडेट किया था। इसकी मदद से यूजर्स बेहद आसानी से एआई द्वारा बनाए गए कंटेंट को रिपोर्ट कर सकते हैं। अब कंपनी एक नया टूल लाने जा रही है जिससे यूजर्स डीपफेक वॉइस और फेस को पहचान सकेंगे।
यूट्यूब यूजर्स को मिलेगा फेस डिटेक्शन टूल
यूट्यूब के एक अधिकारी ने अपने ब्लॉग पोस्ट में बताया कि इस समय कंपनी आर्टिफिशियल टेक्नोलॉजी से लैस फेस डिटेक्शन टूल पर तेजी से काम कर रही है। नया टूल क्रिएटर्स और आर्टिस्ट को उस कंटेंट को पहचानने में मदद करेगा जिसमें एआई की मदद से किसी दूसरे के चेहरे या फिर वाइस को इस्तेमाल किया गया होगा।
कंपनी के मुताबिक भविष्य में कंपनी ‘Synthetic-Singing Identification’ टेक्नोलॉजी को भी लाएगी। इस टूल की मदद से यूजर्स AI जनरेटेड सिंगिंग वॉइस को पहचान सकेंगे। लीक्स से सामने आई जानकारी की मानें तो नए साल की शुरुआत में फेस डिटेक्शन टूल का पायलेट प्रोग्राम शुरू हो सकता है। टेस्टिंग पूरी होने के बाद यूजर्स को साल 2025 के मध्य तक रोलआउट किया जा सकता है। फिलहाल अभी इसकी लॉन्चिंग को लेकर किसी भी तरह की ऑफिशियल जानकारी नहीं दी गई है।
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