प्लने में जब भी यात्रा करते हैं तो फ्लाइट टेक ऑफ से पहले एयर होस्टेस या फिर दूसरे फ्लाइट अटेंडेंट की तरफ से मोबाइल फोन को बंद करने या फिर उसे फ्लाइट मोड में सेट करने के लिए कहा जाता है। अगर आपने प्लेन में यात्रा की होगी तो जरूर इसका अनुभव किया होगा। कई लोगों को इस बारे में जानकारी होती है लेकिन कई ऐसे भी लोग हैं जिन्हें नहीं मालूम होता कि आखिर ऐसा क्यों होता है। आइए आपको बताते हैं कि प्लेन चलने से पहले मोबाइल फोन्स क्यों बंद करा दिए जाते हैं।
मोबाइल फोन्स को प्लेन टेक ऑफ से पहले क्यों बंद कराया जाता है इसको लेकर एक पायलट ने सोशल मीडिया पर जानकारी शेयर की। जिस पायलट की तरफ से यह इंफॉर्मेंशन शेयर की गई उन्हें सोशल मीडिया में @perchpoint के नाम से जाना जाता है। पायलट ने अपने वीडियो में प्लेन में फ्लाइट मोड के बारे में डिटेल जानकारी दी।
क्या है फ्लाइट मोड?
आपको बता दें कि मोबाइल फोन या फिर स्मार्टफोन में पाया जाने वाला फ्लाइट मोड एक ऐसा फीचर है जिसमें टॉवर्स या फिर सैटेलाइट से आने वाले सभी नेटवर्क डिसकनेक्ट हो जाते हैं। इस सेटिंग को अप्लाई करते ही आप आप किसी भी तरह की कॉल या मैसेज नहीं कर सकते और न ही कॉल-मैसेज रिसीव कर सकते हैं। जहां पर नेटवर्क डिसकनेक्ट करने की बात आती है तो इस मोड का ही इस्तेमाल किया जाता है।
इसलिए फोन को फ्लाइट मोड में सेट करते हैं
पायलट ने बताया कि अगर आप प्लेन चलने के दौरान फोन में एयरप्लेन या फिर फ्लाइट मोड नहीं लगाते इससे न तो प्लेन आसमान से नीचे गिर जाएगा और न ही प्लेन को ऑनबोर्ड सिस्टम में कोई खराबी आएगी। लेकिन इस बात की संभावना होती है कि अगर आपको फोन ऑन रहता है और वह टॉवर्स के नेटवर्क से कनेक्ट है इससे पायलट और एयर ट्रैफिक कंट्रोल के बीच में होने वाले रेडियो संचार में बाधा आ सकती है।
पायलट ने बताया कि अगर किसी प्लेन में 100 या फिर 150 लोग सवार हैं तो उसमें से कुछ ऐसे लोग हो सकते हैं जिनके फोन रेडियो टॉवर्स से कनेक्ट होने की कोशिश करते हैं। स्मार्टफोन में आने वाली रेडियो तरंगे पायलट के हेडसेट की रेडियो तरंगों को डिस्टर्ब कर सकती हैं या फिर उनके डायरेक्शन को बदल सकती हैं। यही वजह है कि टेक ऑफ से पहले पैसेंजर से अपने मोबाइल फोन्स को फ्लाइट मोड पर डालने के लिए कहा जाता है।
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