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क्या है SpaceX का Dragon कैप्सूल? जिसने धरती पर कराई सुनीता विलियम्स की सफल वापसी

पिछले 9 महीनों से अंतरिक्ष में फंसी भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स ने आज तड़के सुबह धरती पर सफलतापूर्वक वापसी कर ली है। नासा के इस मिशन में एलन मस्क की कंपनी SpaceX के स्पेसक्राफ्ट Dragon कैप्सूल का अहम योगदान रहा है।

Written By: Harshit Harsh @HarshitKHarsh
Published : Mar 18, 2025 17:19 IST, Updated : Mar 19, 2025 6:17 IST
SpaceX Dragon Capsule, Sunita Williams
Image Source : SPACEX/NASA स्पेस एक्स ड्रैगन कैप्सूल, सुनीता विलियम्स और एस्ट्रोनॉट्स

Elon Musk की कंपनी SpaceX ने एक ऐसा ड्रैगन कैप्सूल बनाया है, जिसने पिछले 9 महीने से अंतरिक्ष में फंसे नासा के एस्ट्रोनॉट्स सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को धरती पर सफलतापूर्वक वापसी करा दी है। भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट्स सुनीता विलियम्स को धरती पर वापस लाने के लिए गए SpaceX के इस Dragon कैप्सूल ने ISS से धरती की तरफ अपना कदम बढ़ा लिया है। आज यानी 19 मार्च की सुबह करीब 3:27 बजे फ्लोरिडा के समुद्र में सफलतापूर्वक लैंडिंग कर ली है।

नासा पिछले कई महीनों से अंतरिक्ष में फंसे अपने एस्ट्रोनॉट्स को धरती पर वापस लाने की कोशिश कर रहा था। अमेरिकी स्पेस एजेंसी की इसमें एलन मस्क ने बड़ी मदद की। SpaceX के इस ड्रैगन कैप्सूल ने एस्ट्रोनॉट्स को अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) से धरती का रास्ता तय करने में करीब 17 घंटे का समय लगाया। आइए, जानते हैं SpaceX के इस Dragon कैप्सूल के बारे में...

SpaceX Dragon Capsule

यह एक खास तरीके का अंतरिक्षयान है जिसमें अधिकतम 7 एस्ट्रोनॉट्स को पृथ्वी के ऑर्बिट या अंतरिक्ष में भेजा जा सकता है। SpaceX के मुताबिक, यह दुनिया का एकलौता स्पेसक्राफ्ट है जो धरती से अंतरिक्ष में आने-जाने वाले कार्गो की तरह काम करता है। यही नहीं, यह पहला प्राइवेट स्पेक्राफ्ट है जो किसी इंसान को स्पेस स्टेशन में पहुंचा सकता है। साल 2020 में पहली बार SpaceX ने नासा के अंतरिक्षयात्रियों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में भेजने और वापस लाने का काम किया था। इसके अलावा यह ड्रैगन कैप्सूल कमर्शियल एस्ट्रोनॉट्स को धरती के ऑर्बिट, ISS या अंतरिक्ष में कहीं और ले जा सकता है।

कैसे काम करता है Dragon कैप्सूल?

इस स्पेशल स्पेसक्राफ्ट में 16 डार्को थ्रस्टर्स लगे हैं जो मिशन को कुशलतापूर्वक अंजाम दे सकते हैं। ये थ्रस्टर्स ऑर्बिट करेक्शन, एल्टिट्यूड कंट्रोल समेत कई एडजस्टमेंट्स में पारंगत हैं। इसमें मौजूद हर थ्रस्टर अंतरिक्ष में 90 पाउंड की ताकत लगा सकता है। इसके अलावा इस कैप्सूल में दो ड्रैगन पैराशूट लगा है जो अंतरिक्ष में इसे स्टेबिलिटी प्रदान करता है ताकि आसानी से इसे धरती पर लैंड कराया जा सके।

भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और उसके साथी विलमोर पिछले 286 दिनों से अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में फंसे हुए थे। 5 जून 2024 को सुनीता विलियम्स और उसके साथी एस्ट्रोनॉट ISS पर 1 हफ्ते के लिए गए थे। ISS पर पहुंचने के बाद उनके स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी दिक्कत आ गई थी, जिसके बाद उन्हें वहीं ठहरना पड़ा। पिछले 9 महीनों से NASA इन्हें धरती पर वापस लाने की योजना बना रहा था। इससे पहले 2023 में भी रुस के स्पेसक्राफ्ट में खराबी की वजह से वहां पहुंचे नासा के एस्ट्रोनॉट फ्रैंक रूबियो को 371 दिनों तक अंतरिक्ष में रहना पड़ा था, जो कि एक रिकॉर्ड है।

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