DRDO ने 11 मार्च को देश की पहली MIRV टेक्नोलॉजी के साथ Agni-5 मिसाइल की सफल टेस्टिंग की है। पीएम मोदी ने इस मौके पर DRDO के वैज्ञानिकों को बधाई दी है। इसके साथ ही भारत उन 6 देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है, जिसके पास MIRV टेक्नोलॉजी है। पूरी तरह से भारत में तैयार हुए इस अग्नि-5 मिसाइल को मिशन दिव्यास्त्र के तहत टेस्ट किया गया है। आइए, जानते हैं MIRV टेक्नोलॉजी के बारे में...
क्या है MIRV टेक्नोलॉजी?
MIRV यानी मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री वीकल (Multiple Independently Targetable Re-Entry Vehicle) टेक्नोलॉजी एक ऐसी तकनीक है, जिसमें एक साथ कई न्यूक्लियर वीपन को अलग-अलग जगहों के लिए टारगेट किया जा सकता है। इस टेक्नोलॉजी के साथ टेस्ट हुए Agni-5 मिसाइल की वजह से देश की ताकत और बढ़ जाएगी।
भारत के अलावा अमेरिका, चीन, यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन), फ्रांस और रूस के पास यह MIRV तकनीक है। वहीं, पाकिस्तान भी MIRV टेक्नोलॉजी पर बेस्ड मिसाइल को जनवरी 2017 में टेस्ट करने का दावा कर रहा है।
कब हुआ डेवलप?
MIRV को सबसे पहले 1960 में डेवलप किया गया था, जिसमें एक ही मिसाइल में कई न्यूक्लियर वारहेड ले जाने की क्षमता है। इस टेक्नोलॉजी के जरिए एक ही साथ कई मिसाइल को अलग-अलग टारगेट पर हिट किया जा सकता है। अमेरिका ने MIRV पर आधारित इंटरकॉन्टिनेंटल बालिस्टिक मिसाइल (IBCM) को 1970 में टेस्ट किया था। इसके बाद MIRV बेस्ड सबमरीन (SLBM) को 1971 में टेस्ट किया था।
कैसे करता है काम?
MIRV तकनीक पर आधारित मिसाइल में रॉकेट मोटर (जिसे बूस्टर भी कहा जाता है) बस को पुश करके फ्री-फ्लाइट सबऑर्बिटल बालिस्टिक फ्लाइट पाथ को टारगेट करता है। बूस्ट फेज के बाद बस में लगे ऑन-बोर्ड रॉकेट मोटर्स को कम्प्युटराइज्ड इनर्शिल गाइडेंस दिया जाता है। इस तरह से यह अलग-अलग टारगेट पर कई बार हिट कर सकता है।
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