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Google पर चला कोर्ट का डंडा, 277 पन्नों वाले डॉक्यूमेंट ने खोल दी कंपनी की सारी पोल

Google Search रिजल्ट से जुड़े मामले में अमेरिकी कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन को कोर्ट ने मनमानी करने वाला बताया है। जज ने कोर्ट में 277 पन्नों वाला आदेश सुनाया है, जिसमें गूगल की सारी पोल खुल गई है।

Written By: Harshit Harsh @HarshitKHarsh
Updated on: August 06, 2024 12:01 IST
Google Search- India TV Hindi
Image Source : FILE Google Search

Google का सर्च इंजन किस तरह काम करता है? आखिरकार इस बात का खुलासा हो गया है। अमेरिकी कोर्ट में पेश किए गए डॉक्यूमेंट से इस बात की जानकारी मिली है। कोर्ट ने सर्च रिजल्ट वाले डॉक्यूमेंट के साथ गूगल की जमकर क्लास लगाई है। साथ ही, कोर्ट ने इसे गूगल की मनमानी करार देते हुए एंटीट्रस्ट नियमों का उल्लंघन भी माना है। जज ने दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन की इस मनमानी पर 277 पेज का आदेश जारी किया है और गूगल को मोनोपोलिस्ट यानी मनमानी करने वाला बताया है।

क्या है मामला?

गूगल द्वारा एंटीट्रस्ट नियमों के उल्लंघन को लेकर लंबे समय से अमेरिकी कोर्ट में मुकदमा चल रहा था। इस मुकदमे की सुनवाई करने वाले फेडरल जज अमित मेहता ने 277 पन्नों का फैसला सुनाया है। जज ने बताया कि गूगल ने एंटीट्रस्ट नियमों का उल्लंघन करते हुए करोड़ों डॉलर खर्च करते हुए डेवलपर्स, टेलीकॉम कैरियर और इक्विपमेंट बनाने वाली कंपनियों से सिक्योर एक्सक्लूसिव करार किया है। ऐसा करके गूगल ने नियमों का उल्लंघन किया है और गलत तरीके से ऑनलाइन सर्च इंजन के मार्केट में मनमानी की है।

फेडरल जज के इस फैसले के बाद अमेरिकी एंटीट्रस्ट ऑथिरिटी की गूगल पर पहली बड़ी विजय है। एंटीट्रस्ट ऑथिरिटी ने गूगल की मनमानी के खिलाफ कोर्ट में शिकायत दर्ज की थी। इस 277 पन्नों वाले फैसले ने गूगल सर्च इंजन की सारी पोल खोल कर रख दी है।

कैसे काम करता है गूगल सर्च?

Google Search इंजन के बारे में बताते हुए जज ने कहा कि कंपनी को पता है कि किसी भी डिवाइस में डिफॉल्ट सर्च इंजन होना कितना फायदेमंद है। इसके लिए गूगल ने डिवाइस बनाने वाली कंपनी से लेकर इक्वीपमेंट मैन्यूफैक्चरर्स, टेलीकॉम ऑपरेटर्स और यहां तक की डेवलपर्स के लिए करोड़ों डॉलर खर्च किए हैं। डिफॉल्ट सर्च इंजन होने की वजह से गूगल को यूजर्स द्वारा क्रिएट किए गए अरबों क्वेरीज हर रोज मिलते हैं। ऐसा डिफॉल्ट सर्च इंजन के एक्सेस प्वॉइंट्स की वजह से संभव हो पाता है।

हालांकि, कुछ समय पहले दुनिया के कई देशों में सर्च इंजन की मनमानी को लेकर सवाल खड़े हुए थे, जिसके बाद से कंपनी ने Android स्मार्टफोन में डिफॉल्ट सर्च इंजन सेट करने का ऑप्शन दिया है, लेकिन बहुत कम ही यूजर्स इसका इस्तेमाल कर पाते हैं। वे अपना स्मार्टफोन सेट-अप करते समय शायद ही इस पर ध्यान देते हैं।

होगा अरबों डॉलर का नुकसान

किसी भी Android डिवाइस में अगर गूगल का सर्च इंजन बाई-डिफॉल्ट नहीं रहेगा तो कंपनी को यूजर्स की क्वेरीज रिसीव नहीं होगी, जिसकी वजह से गूगल के बड़े ऐड बिजनेस पर असर होगा। गूगल का ऐड बिजनेस पूरी तरह से गूगल सर्च एल्गोरिदम और यूजर्स द्वारा पूछी गई क्वेरीज पर निर्भर है।

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