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Twitter की उठापटक के बीच Koo ने यूजर्स को दिया शानदार तोहफा

Twitter ने जब वेरिफिकेशन बैज यानि ब्लू टिक के लिए 8 डॉलर की मांग की है, सभी ब्लूटिक धारी हैरान परेशान हैं।

Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published : Nov 10, 2022 20:03 IST, Updated : Nov 10, 2022 20:03 IST
Twitter Elon Musk
Image Source : FILE Twitter Elon Musk

ट्विटर और उसके मालिक एलन मस्क आजकल खूब चर्चा बटोर रहे हैं। चाहें नौकरी करने वाले हों या फिर ब्लू टिक धारी। हर कोई ट्विटर को कोस रहा है। लेकिन इस बीच ट्विटर के भारतीय संस्करण कू ने अपने यूजर्स को बड़ी राहत दी है। भारत में बना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘कू’ वैरिफिकेशन (सत्यापन) बैज के लिए कोई शुल्क नहीं लेगा। 

बॉट के लिए ट्विटर जिम्मेदार

कंपनी के सह- संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अप्रमेय राधाकृष्ण ने ट्विटर को पहले बॉट्स बनाने और अब सत्यापन के लिए उपयोगकर्ताओं से शुल्क लेने पर आड़े हाथों लिया। गौरतलब है कि कू भारत में ट्विटर की प्रमुख प्रतिस्पर्धी है। कू उपयोगकर्ताओं को भारतीय भाषाओं में अपने विचार लिखने का विकल्प देता है और उसके पांच करोड़ से अधिक डाउनलोड हो चुके हैं। 

ट्विटर मांग रहा है 8 डॉलर 

अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने ट्विटर का अधिग्रहण करने के बाद ब्लू टिक के लिए आठ अमेरिकी डॉलर का शुल्क लगाने की बात की है। दूसरी ओर कू प्रतिष्ठित व्यक्तियों को आधार आधारित स्व-सत्यापन का विकल्प देती है और बिना कोई शुल्क लिए पीला सत्यापन टैग देती है। 

ट्विटर पर हावी जॉम्बी?

राधाकृष्ण ने कहा कि ट्विटर बॉट, जिन्हें जॉम्बी भी कहा जाता है, बॉट सॉफ्टवेयर द्वारा नियंत्रित खाते हैं। इन खातों का संचालन इंसान की जगह मशीन द्वारा किया जाता है। इनका मकसद बड़े पैमाने पर किसी खास सामग्री को ट्वीट और री-ट्वीट करना है। उन्होंने कहा, ‘‘ट्विटर पर बॉट्स को फर्जी समाचार फैलाने, स्पैमिंग और दूसरों की गोपनीयता का उल्लंघन करने के लिए जिम्मेदार माना जाता है।’’ उन्होंने कहा कि ट्विटर ने एक समय बॉट्स को बढ़ावा दिया और अब उन्हें काबू में करने के लिए संघर्ष कर रहा है। 

ये है बॉट का इलाज 

राधाकृष्ण ने कहा कि आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका यह है कि जो खाते खुद को मनुष्य के रूप में सत्यापित नहीं करते हैं, उन्हें मंच से बाहर कर दिया जाए। उन्होंने कहा, ‘‘ऑफलाइन दुनिया की तरह, हर इंसान ऑनलाइन दुनिया में भी एक इंसान के रूप में पहचाने जाने का हकदार है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कू लोगों के बीच भरोसेमंद और स्वस्थ बातचीत को सक्षम बनाने में यकीन रखती है। इस साल हमने स्वैच्छिक स्व-सत्यापन की पेशकश मुफ्त में की और 1.25 लाख से अधिक भारतीयों ने इस अधिकार का लाभ उठाया है।’’ 

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