नई दिल्ली: हमारी डेली रूटीन लाइफ में स्मार्टफोन समेंत कई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का बहुत अधिक उपयोग बढ़ गया है। इन गैजेट्स के बिना कुछ घंटे भी रहना पाना बेहद मुश्किल भरा लगता है। लैपटॉप, स्मार्टफोन जैसे डिवाइसेस का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। इन गैजेट्स् से हमारी जिंदगी आसान तो बनती है लेकिन इनसे हमें कई तरह के नुकसान भी होते हैं। ये इलेट्रॉनिक डिवाइस हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डालते हैं।
आज जब इन इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस से कुछ मिनट भी दूर रह पाना मुश्किल हो गया है ऐसे में महाराष्ट्र में एक ऐसा गांव है जहां लोग शाम को करीब 2 घंटे तक डिजिटल दुनिया के इन उपकरणों को पूरी तरह से बंद कर देते हैं। इसे पूरी प्रक्रिया को डिजिटल डिटॉक्स के नाम से जाना जाता है।
डिजिटल दुनिया से कट जाते हैं लोग
डिजिटल डिटॉक्स एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें लोग पूरी तरह से डिजिटल दुनिया से कट जाते हैं और पूरी तरह से सोशल मीडिया से लेकर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से दूरी बना लेते हैं। डिजिटल डिटॉक्स एक ऐसा टाइम पीरियड है जब लोग कंप्यूटर, स्मार्टफोन, सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करते।
महाराष्ट्र के सांगली जिले के मोहितयांचे वडडागांव में प्रतिदिन शाम सात बजे सायरन की आवाज सुनते ही इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जैसे- मोबाइल फोन, लैपटॉप, टीवी, टैबलेट को डेढ़ घंटे से ज्यादा समय तक के लिए बंद कर देते हैं। इतना ही नहीं गांव के कुछ लोग घर घर जाते हैं और चेक करते हैं कि कहीं कोई इन गैजेट्स का उपयोग तो नहीं कर रहा।
गांव के सरपंच को ऐसे आया आइडिया
गांव को डिजिटल डिटॉक्स करने का आइडिया गांव के सरपंच विजय मोहिते का है। उन्हें यह विचार कोविड के दौरान लगे लॉकडाउन की वजह से आया। लॉकडाउन की वजह से अधिकांश लोगों को इन इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की ज्यादा लत लग गई थी और यह लत लाकडाउन खत्म होने के बाद भी नहीं खत्म हुई। इसी आदत में सुधार लाने के लिए गांव में करीब 2 घंटे तक हर दिन इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग नहीं किया जाता है।