TRAI ने अनचाहे मार्केटिंग वाले कॉल्स पर पूरी तरह से लगाम लगाने की तैयारी कर ली है। दूरसंचार नियामक इस महीने एक नया पायलट प्रोजेक्ट लेकर आ रहा है, जिसमें यूजर की अनुमति के बिना उनके नंबर पर एक ही मार्केटिंग कॉल्स और मैसेज नहीं आएगा। इसके लिए नियामक डिजिटल डिस्ट्रिब्यूटर लेजर टेक्नोलॉजी (DLT) सिस्टम को अपग्रेड करने जा रहा है। ट्राई के चेयरमैन अनिल कुमार लाहोटी ने कहा कि फर्जी स्पैम कॉल्स को रोकने के लिए नियामक रेगुलेशन को और सख्त बना रहा है।
मार्केटिंग वाले कॉल्स पूरी तरह बंद
ट्राई स्पैम कॉल्स को रोकने के लिए ऑथोराइजेशन फ्रेमवर्क को इस महीने लाने वाला है। आने वाले कुछ सप्ताह में इसे लागू कर दिया जाएगा। इसके बाद यूजर के नंबर पर केवल उन टेलीमार्केटर्स के कॉल्स आएंगे, जिन्हें उन्होंने अनुमति यानी कंसेंट दिया है। पिछले साल अगस्त में दूरसंचार नियामक ने स्पैम कॉल्स और मैसेज पर लगाम लगाने के लिए कई नए नियम लाने की घोषणा की थी। इनमें से अक्टूबर में फर्जी कॉल्स और मैसेज को लेकर नया नियम लागू किया गया। इस नियम के आने से यूजर के फोन पर उन टेलीमार्केटर्स के URLवाले मैसेज नहीं आएंगे, जिन्हें व्हाइटलिस्ट नहीं किया गया है।
साथ ही, फर्जी टेलीमार्केटिंग कॉल्स को नेटवर्क लेवल पर ही ब्लॉक करने वाला नियम भी लागू किया गया है। पिछले महीने 11 दिसंबर से मैसेज ट्रेसिबिलिटी नियम लागू किया गया है, जिसमें यूजर्स के फोन पर आने वाले फर्जी मैसेज को आसानी से ट्रैक किया जा सके। मैसेज ट्रेसिबिलिटी का फायदा देश के 120 करोड़ मोबाइल यूजर्स को होने वाला है।
मैसेज ट्रेसेबिलिटी नियम में यूजर के मोबाइल पर आने वाले मैसेज के सेंडर को ट्रेस करना यानी पता लगाना आसान होगा। हैकर्स द्वारा भेजे जाने वाले फर्जी कमर्शियल मैसेज यूजर्स तक नहीं पहुंचेंगे और उसे नेटवर्क लेवल पर ही ब्लॉक कर दिया जाएगा। इस तरह से यूजर्स के साथ फ्रॉड होने का खतरा कम रहेगा। साथ ही, मैसेज भेजने वाले सेंडर को ट्रेस किया जा सकेगा। दूरसंचार नियामक के नए मेंडेट के मुताबिक, टेलीकॉम कंपनियों को यूजर के नंबर पर आने वाले किसी भी मैसेज के कम्प्लीट चेन के बारे में पता होना चाहिए।
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