TRAI ने Airtel, Jio, BSNL और Vi को बड़ी राहत देते हुए मैसेज ट्रेसिबिलिटी का नियम लागू करने की डेडलाइन अब 10 दिसंबर तक बढ़ा दी है। दूरसंचार नियामक ने एक्सेस सर्विस प्रोवाइडर्स को कंप्लायेंस पूरा करने के लिए और 10 दिन का समय दिया है। पहले मैसेज ट्रेसिबिलिटी के नियम को 1 नवंबर से लागू किया जाना था, जिसके लिए 31 अक्टूबर तक की डेडलाइन दी गई थी। हालांकि, बाद में इसे 30 नवंबर तक एक्सटेंड कर दिया गया था।
क्या है मैसेज ट्रेसिबिलिटी?
दूरसंचार नियामक ने एक्सेस सर्विस प्रोवाइडर्स (ASP) यानी टेलीकॉम ऑपरेटर्स को बल्क में भेजे जाने वाले कमर्शियल मैसेज को ट्रैक करने के लिए ट्रेसिबिलिटी इंप्लीमेंट करने का निर्देश दिया था। बल्क में किए जाने वाले फर्जी मैसेज को ट्रैक करने के लिए यह अनिवार्य है, क्योंकि अगर ट्रेसिबिलिटी सिस्टम नहीं होगा तो किस लोकेशन से मैसेज भेजा गया है, वह ट्रैक नहीं किया जा सकेगा। ऐसे में स्कैमर्स को पकड़ने में परेशानी होगी।
TRAI ने सभी एक्सेस सर्विस प्रोवाइडर्स को इस सिस्टम को इंप्लीमेंट करने की डेडलाइन अब बढ़ाकर 10 दिसंबर कर दी है। ट्रेसिबिलिटी सिस्टम लागू होने के बाद फर्जी मैसेज भेजने वाले को आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा। पहले दूरसंचार कंपनियों ने TRAI को यह दलील दी थी कि इस सिस्टम को लागू करने में कई तकनीकी बाधाएं है, जिसकी वजह से उन्हें और समय दिया जाए। इसके बाद नियामक ने उन्हें एक महीने का एक्सटेंशन देने का फैसला किया था।
फर्जी कॉल और मैसेज के लिए नियम
पिछले दिनों TRAI ने साफ किया है कि इस नियम के लागू होने से किसी को OTP मिलने में किसी भी तरह की देरी नहीं होगी। सरकार ने देश में बढ़ते साइबर अपराध को लगाम लगाने के लिए पिछले कुछ महीने में कई कदम उठाए हैं। फर्जी कॉल्स और मैसेज को रोकने के लिए TRAI ने 1 अक्टूबर से नए नियम लागू कर दिए हैं। इस नियम के तहत बल्क में मैसेज भेजने वाली टेलीमार्केटिंग कंपनियों को खुद को व्हाइटलिस्ट कराना होगा। इसके अलावा ट्राई द्वारा सुझाए गए मैसेज टेम्प्लेट को फॉलो करना होगा। बिना व्हाइटलिस्ट वाले मैसेज फर्जी माने जाएंगे और नेटवर्क लेवल पर ही ब्लॉक कर दिए जाएंगे।
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