TRAI ने फर्जी कॉल्स और मैसेज पर रोक लगाने के लिए आज यानी 1 अक्टूबर से नए नियम लागू कर दिए हैं। दूरसंचार नियामक के नए नियम लागू होने से मोबाइल यूजर्स को URL यानी लिंक वाले मैसेज और मार्केटिंग कॉल्स नहीं आएंगे। दूरसंचार नियामक इस नियम को 1 सितंबर 2024 को लागू करने वाला था, लेकिन टेलीकॉम ऑपरेटर्स और अन्य स्टेकहोल्डर्स की मांग पर इसे 30 दिनों के लिए आगे बढ़ा दिया गया।
नया नियम लागू होने के बाद किसी भी एंटिटी या टेलीमार्केटर को मार्केटिंग वाले कमर्शियल मैसेज में URL भेजने के लिए URL को व्हाइट लिस्ट कराना होगा। साथ ही, एक तय टेम्पलेट के तरह मोबाइल यूजर्स को मैसेज भेजे जाएंगे। जिन एंटिटी ने खुद को व्हाइटलिस्ट नहीं कराया है, उनके मैसेज मोबाइल यूजर्स को नहीं पहुंचेंगे। उसे नेटवर्क लेवल पर ही ब्लॉक कर दिया जाएगा।
लाखों मोबाइल यूजर्स को राहत
TRAI की इस गाइडलाइंस को पूरी तरह से फॉलो करने के लिए स्टेकहोल्डर्स और कई टेलीमार्केटर ने नियामक से समय मांगा था। हालांकि, नियामक ने साफ किया है कि एंटिटी को पर्याप्त समय दिया जा चुका है। ऐसे में खबरें सामने आ रही थी कि नए नियम के लागू होने के बाद यूजर्स को ऑनलाइन पेमेंट करने में दिक्कत आ सकती है, क्योंकि उन्हें बैंक द्वारा भेजे गए OTP प्राप्त नहीं होंगे। ET Telecom की रिपोर्ट की मानें तो ट्राई ने बैंक को व्हाइटलिस्ट की प्रक्रिया में छूट दी गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकों को अपने कमर्शियल मैसेज यानी URL वाले डायनेमिक पार्ट को व्हाइटलिस्ट कराने की जरूरत नहीं है। वो केवल अपने कमर्शियल मैसेज के स्टेटिक पार्ट को वेरिफाई कर दें। कुछ एंटिटी ने अभी भी जानकारियां व्हाइटलिस्ट नहीं की हैं, जबकि कई ने व्हाइटलिस्ट की प्रक्रिया पूरी कर ली है।
क्या है व्हाइटलिस्टिंग?
एंटिटी द्वारा किसी कमर्शियल मैसेज को व्हाइटलिस्ट कराने का मतलब है कि मैसेज भेजने से पहले उसमें मौजूद सभी जानकारियां जैसे कि URL, OTT लिंक, APK आदि की डिटेल टेलीकॉम ऑपरेटर्स को प्रदान करें। इसके बाद जानकारी को टेलीकॉम ऑपरेटर के ब्लॉकचेन बेस्ड DLT (डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी) प्लेटफॉर्म पर फीड करें। अगर, एंटिटी द्वारा दी गई जानकारी मैच हो जाएंगे, तो मैसेज पास हो जाएगा और यूजर को भेजा जा सकता है। वहीं, अगर इस प्लेटफॉर्म में मैसेज पास नहीं होता है, तो टेलीकॉम ऑपरेटर उसे ब्लॉक कर देगा। ऐसे में यूजर के पास वह मैसेज नहीं पहुंचेगा।
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