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चीन को सैमसंग की टेक्नोलॉजी बेचना शख्स को पड़ा महंगा, कोर्ट ने सुना दी 3 साल की सजा

एज पैनल टेक्नोलॉजी, जिसे 3डी लेमिनेशन टेक्नोलॉजी भी कहते हैं, का इस्तेमाल कर्व स्क्रीन एज बनाने के लिए किया जाता है। इस तकनीक को विकसित करने में सैमसंग को लगभग 117.7 मिलियन डॉलर का निवेश करना पड़ा था ।

Written By: Gaurav Tiwari
Published : Jul 14, 2023 8:24 IST, Updated : Jul 14, 2023 8:24 IST
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Image Source : फाइल फोटो इस टेक्नोलॉजी को तैयार करने में सैमसंग ने करोड़ों का निवाश किया था।

सैमसंग की टेक्नोलॉजी लीक करने के आरोप में दक्षिण कोरिया की शीर्ष अदालत ने एक शख्स को तीन साल की सजा जेल की सजा सुना दी है। दक्षिण कोरिया की शीर्ष अदालत ने गुरुवार को 2018 में चीनी कंपनियों को सैमसंग डिस्प्ले की एज पैनल टेक्नोलॉजी लीक करने के आरोप में एक व्यक्ति को तीन साल जेल की सजा सुनाई है। हैरानी की बात तो यह है कि जिस व्यक्तिक को जेल की सजा सुनाई गई है वह कोई साधारण आदमी नहीं बल्कि एक टेक फर्म का पूर्व प्रमुख है। 

कोरिया की समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, एज पैनल टेक्नोलॉजी, जिसे 3डी लेमिनेशन टेक्नोलॉजी भी कहते हैं, का इस्तेमाल कर्व स्क्रीन एज बनाने के लिए किया जाता है। इस तकनीक को विकसित करने में सैमसंग को लगभग 117.7 मिलियन डॉलर का निवेश करना पड़ा था । इस टेक्नोलॉजी तैयार करने में करीब 38 इंजीनियरों को छह साल का समय लगा था।

शख्स को 2018 में मिली थी टेक्नोलॉजी

प्रोडक्शन डिवाइस में एक्सपर्ट कंपनी टॉपटेक के एक पूर्व सीईओ और अधिकारियों को अप्रैल 2018 में सैमसंग से एज पैनल टेक्नोलॉजी मिली थी। व्यक्ति को इससे जुड़े टेक्निकल स्पेसिफिकेशंस और टेक्नोलॉजी इमेज को एक अलग कंपनी में लीक करने के आरोप में दोषी ठहराया गया था। यह भी आरोप लगाया था कि व्यक्ति ने डॉक्यूमेंट्स के कुछ हिस्सों को दो चीनी कंपनियों को बेच दिया था।

व्यक्ति पर सैमसंग द्वारा प्रदान की गई टेक्निकल ड्राइंग के आधार पर 3डी लेमिनेशन प्रोडक्शन उपकरण की टेक्नोलॉजी को चीनी कंपनियों को निर्यात करने और  बेचने का प्रयास करने का भी आरोप लगाया गया था।

एक जिला अदालत ने शुरू में टॉपटेक के पूर्व सीईओ और अधिकारियों को दोषी नहीं पाया था। कोर्ट ने कहा था कि लीक हुई टेक्नोलॉजी कोई बिजनेस सीक्रेट नहीं है। लेकिन एक अपीलीय कोर्ट ने फैसले को पलट दिया और पूर्व सीईओ को तीन साल जेल की सजा सुनाई। कोर्ट ने यह तर्क दिया कि टेक्नोलॉजी को सार्वजनिक डोमेन में नहीं माना जा सकता है। 

शीर्ष कोर्ट ने टॉपटेक के पूर्व सीईओ की तीन साल की कैद को बरकरार रखा। टॉपटेक के दो अन्य अधिकारियों को भी अंतिम रूप से दो साल की जेल की सजा दी गई, जबकि कंपनी पर 100 मिलियन वॉन का जुर्माना लगाया गया।

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