Apple, Samsung, Oppo जैसे ब्रांड्स अपने स्मार्टवॉच में ब्लड शुगर लेवल डिटेक्शन फीचर देतेहैं। ये कंपनियां दावा करते हैं कि इन डिवाइसेज के जरिए कलेक्ट किए गए ब्लड शुगर लेवल का इस्तेमाल मेडिकल पर्पस के लिए किया जा सकता है। हालांकि, अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने इसे लेकर चेतावनी जारी की है। अमेरिकी एजेंसी ने बिना किसी ब्रांड का नाम लिए कहा कि स्मार्टवॉच और स्मार्ट रिंग के द्वारा गलत तरीके से ब्लड ग्लूकोज लेवल मापा जाता है। FDA ऐसे किसी भी गैजेट को इसके लिए अप्रूव नहीं करती है।
FDA ने दी चेतावनी
हालांकि, अमेरिकी फूड एंड ड्रग एजेंसी की यह चेतावनी स्मार्टवॉच ऐप्स के लिए नहीं है, जो सेंसर पर काम करते हैं और शरीर में मौजूद ग्लूकोज को मॉनिटर करते रहते हैं। इस समय अमेरिका में करीब 37 मिलियन यानी 3.7 करोड़ डायबिटीज के मरीज हैं। डायबिटीज के मरीज को अपने शरीर में मौजूद ब्लड शुगर लेवल को लगातार मापते रहने की जरूरत है।
FDA ने स्मार्टवॉच और स्मार्ट रिंग के जरिए लोगों के उंगलियों में बिना सुई चुभाए हुए ब्लड शुगर मापा जाता है, जो सही नहीं है। इसके लिए ग्लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइस का इस्तेमाल करना होगा, जो फिंगर पियरसिंग फीचर के साथ आते हैं। अमेरिकी एजेंसी ने बताया कि उन्होंने अभी किसी स्मार्टवॉच और स्मार्ट रिंग को ब्लड शुगर मापने के लिए अप्रूव नहीं किया है।
डायबिटीज मरीजों के लिए परेशानी
स्मार्टवॉच और स्मार्ट रिंग द्वारा मिले ग्लूकोज लेवल के आधार पर शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा मापना डायबिटीज के मरीजों के लिए परेशानियां ला सकता है। इससे भ्रमित होकर मरीज इंसुलिन या अन्य दवाओं का सेवन कर सकते हैं, तो तेजी से ब्लड ग्लूकोज खत्म कर सकते हैं। ऐसे में मरीज को लो ग्लूकोज का सामना करना पड़ सकता है। स्मार्टवॉच और स्मार्ट रिंग जैसे डिवाइसेज केवल शरीर में मौजूद ग्लूकोज के लेवल को डिवाइस में दिए गए सेंसर पर मेजर करता है, लेकिन यह डेटा सही नहीं होता है।
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