पिछले 10 सालों में स्मार्टफोन और इंटरनेट का इस्तेमाल काफी तेजी से बढ़ा है। इन दोनों ही चीजों ने हमारी जिंदगी में काफी सहूलियत ला दी है। इनसे हमें जितना आराम मिला है उतना ही इसके नुकसान भी हैं। जैसे-जैसे मोबाइल और इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ा है वैसे-वैसे साइबर क्राइम के मामले भी तेजी से बढ़े हैं। ऑनलाइन फ्रॉड के बढ़ते मामलों पर रोक लगाने लिए अब केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है।
बढ़ते हुए साइबर अपराध पर रोक लगाने के लिए अब सरकार भी सख्त हो गई है। मोबाइल और कंप्यूटर यूजर्स की सेफ्टी के लिए अब कंद्र की तरफ से साइबर सस्पेक्ट रजिस्ट्री की शुरुआत की गई है। आइए आपको बताते हैं कि क्या है साइबर सस्पेक्ट रजिस्ट्री और यह किस तरह से काम करती है।
साइबर अपराधियों पर लगेगी लगाम
आपको बता दें कि देश में डिजिटल लेन देन का चलन तेजी से बढ़ा है। लोगों की सेफ्टी के लिए केंद्री गृह मंत्री के अमित शाह के द्वारा साइबर सस्पेक्ट रजिस्ट्री की शुरुआत की गई। 'केंद्रीय संदिग्ध रजिस्ट्री' देश भर में साइबर अपराध संदिग्धों के समेकित डेटा के साथ एक केंद्रीय-स्तरीय डेटाबेस के रूप में काम करेगी।
क्रिमिनल्स को किया गया लिस्ट
आपको बता दें कि साइबर सस्पेक्ट रजिस्ट्री में 14 लाख संदिग्ध लोगों के मोबाइल नंबर और ई- मेल आईडी मौजूद हैं। इतना ही नहीं इसमें बैंक अकाउंट, सोशल मीडिया अकाउंट और UPI से जुड़े डेटा भी शामिल हैं। इस डेटाबेस को फ्रॉड के मामले में आईं शिकायतों के आधार पर तैयार किया गया है। रिपोर्ट की मानें तो इस समय साइबर क्राइम पोर्टल पर डेली साइबर अपराध की 67 हजार से अधिक शिकायतें मिल रही हैं।
आपको बता दें कि सरकार को साइबर क्राइम की जो शिकायतें मिल रही हैं उनमें से करीब 85 फीसदी शिकायतें फाइनेंशियल फ्रॉड से जुड़ी हैं। साइबर फ्रॉड को अब तक करीब 47 लाख से अधिक शिकायतें मिल चुकी हैं। सस्पेक्ट रिजस्ट्री को राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, केंद्रीय जांच और सिर्फ खुफिया एजेंसियों के द्वारा ही एक्सेस किया जा सकता है।
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