OnePlus, Oppo और Realme के प्रीमियम स्मार्टफोन में अब Ultrasonic Fingerprint Scanner मिल सकते हैं। इस समय स्मार्टफोन में सिक्योरिटी के लिए दो तरह के बायोमैट्रिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है। फोन में फेस अनलॉक के साथ-साथ फिंगरप्रिंट सेंसर मिलता है। इन-डिस्प्ले फिंगरप्रिंट सेंसर की बात करें तो यह भी दो तरह के होते हैं, जिनमें एक ऑप्टिकल और दूसरा अल्ट्रासोनिक फिंगरप्रिंट सेंसर। भारत में लॉन्च होने वाले ज्यादातर स्मार्टफोन ऑप्टिकल फिंगरप्रिंट सेंसर के साथ आते हैं।
ओप्पो, वनप्लस और रियलमी तीनों ही टेक्नोलॉजी कंपनियां एक ही ग्रुप की हैं और ये अपने फ्लैगशिप स्मार्टफोन में अब ऑप्टिकल की जगह अल्ट्रासोनिक फिंगरप्रिंट स्कैनर का इस्तेमाल करेंगे। चीनी टिप्सटर डिजिटल चैट स्टेशन (DCS) ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट Weibo पर बताया कि इन कंपनियों के प्रीमियम स्मार्टफोन में अब अल्ट्रासोनिक फिंगरप्रिंट सेंसर मिलेगा। केवल सैमसंग के Galaxy S सीरीज के फ्लैगशिप स्मार्टफोन में अल्ट्रासोनिक फिंगरप्रिंट स्कैनर का इस्तेमाल किया जाता है। आइए, जानते हैं अल्ट्रासोनिक फिंगरप्रिंट सेंसर क्या है और यह ऑप्टिकल फिंगरप्रिंट स्कैनर से कैसे अलग है?
क्या है Ultrasonic Fingerprint scanner?
यह भी एक तरह का इन-डिस्प्ले फिंगरप्रिंट सेंसर होता है, जो ध्वनि की तरंगों के आधार पर स्मार्टफोन को अनलॉक कर देता है। सैमसंग ने सबसे पहले इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल Samsung Galaxy S10 सीरीज में किया था। यह कमाल की टेक्नोलॉजी यूजर्स की उंगलियों से निकलने वाली तरंगों के आधार पर काम करता है, जो मौजूदा ऑप्टिकल स्कैनर के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित होता है। अल्ट्रासोनिक फिंगरप्रिंट स्कैनर से निकलने वाली तरंगे उंगलियों में उभरी हुई धारियों के डिजाइन की मैपिंग करते हैं और डिवाइस को अनलॉक करते हैं।
अल्ट्रासोनिक फिंगरप्रिंट स्कैनर पर जैसे ही यूजर अपनी उंगलियां रखते हैं इससे निकलने वाली ध्वनि की तरंगें बाउंस होकर सेंसर में वापस आते हैं और उंगलियों की पहचान करते हैं। यह टेक्नोलॉजी मौजूदा ऑप्टिकल सेंसर के मुकाबले महंगी है, जिसकी वजह से फ्लैगशिप स्मार्टफोन में ही यूज की जाती है। इस तकनीक की खास बात यह है कि अगर उंगलियों पर तेल या कुछ और भी लगा हो तो भी फोन अनलॉक करने में दिक्कत नहीं आती है। इसकी तरंगे 3D मैपिंग का सहारा लेकर डिवाइस को अनलॉक करने का काम करती हैं।
हालांकि, अल्ट्रासोनिक फिंगरप्रिंट स्कैनर के ऊपर अगर गलत स्क्रीन प्रोटेक्टर या स्क्रीन गार्ड लगा दिया जाए तो इसे इस्तेमाल करने में परेशानी आ सकती है क्योंकि स्क्रीन प्रोटेक्टर की वजह से स्कैनर और उंगलियों के बीच एयरगैप क्रिएट हो सकता है, जो 3D मैपिंग में दिक्कत पैदा कर सकता है।