सरकार ने चीन से आने वाले दोयम दर्जे और घटिया क्वालिटी के पावर बैंक पर बड़ा एक्शन लिया है। इन पावर बैंक के इंपोर्ट को रोकने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इन पावर बैंक पर सुरक्षा मानकों पर खड़े नहीं उतरने और वास्तविक क्षमता से 50-60 प्रतिशत कम परफॉर्मेंस होने का दावा किया गया है। सरकार इस तरह के घटिया पावर बैंक की बिक्री पर रोक लगाने की तैयारी में है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि इन पावर बैंक की जितनी क्षमता बताई जाती है उसके मुकाबले यह कम परफॉर्म कर रहा है।
दो कंपनियों पर बैन
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन से इंपोर्ट किए जाने वाले पावर बैंक से दो बार मोबाइल फुल चार्ज किया जा सकता है, लेकिन ये मानक पर खड़े नहीं उतर रहे हैं और एक बार ही मोबाइल को चार्ज कर पाते हैं। बाजार में बढ़ रही प्रतिस्पर्द्धा को देखते हुए कई भारतीय कंपनियां इन चीनी सप्लायर्स से घटिया लीथियम-आयन सेल खरीद रही हैं। BIS ने हाल ही में दो चीनी सप्लायर्स - गुआंगडोंग क्वासुन न्यू एनर्जी टेक्नोलॉजी कंपनी और गंझोउ नोवेल बैटरी टेक्नोलॉजी पर बैन लगा दिया है। इन दोनों सप्लायर्स का रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दिया है।
इसके अलावा एक और सप्लायर गंझोउ ताओयुआन न्यू एनर्जी कंपनी भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) की रडार पर है। अधिकारियों ने ओपन मार्केट से इन कंपनियों के पावर बैंकों की जांच की थी, जिसमें पाया गया कि अधिकांश पावर बैंक उसकी क्षमता के दावों की तुलना में बहुत कम पावरफुल थी। इस जांच में पाया गया कि 10,000mAh बैटरी क्षमता वाले कई पावरबैंक की वास्तिवक क्षमता केवल 4,000 से 5,000mAh की थी।
सतर्क रहें यूजर्स
इंडस्ट्री से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि पावर बैंक में इस्तेमाल किए जाने वाले घटिया क्वालिटी के लीथियम सेल बाजार में आ रहे हैं। ऐसे में यूजर्स को इन पावर बैंक को खरीदते समय सतर्क रहने की जरूरत है। चीनी कंपनियां नियमों के लूप-होल्स का फायदा उठाकर घटिया क्वालिटी के पावरबैंक बाजार में इंपोर्ट कर रही हैं। भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के पास डिवाइस की सेफ्टी को लेकर स्टैंडर्ड है, लेकिन क्षमता की जांच के लिए कोई स्टैंडर्ड नहीं है। ऐसे में चीनी सप्लायर्स इसका फायदा उठाकर दोयम दर्जे के पावर बैंक आयात कर रहे हैं।
घटिया क्वालिटी की बैटरी इस्तेमाल करने की वजह से कंपनियों की लागत कम हो रही है। कंपनियां अच्छे सैंपल्स BIS को भेज रही हैं, ताकि वो सुरक्षा मानकों पर खड़े उतरे, लेकिन बाजार में घटिया क्वालिटी की बैटरी वाले पावरबैंक बेच रही है। इस तरह से कंपनियों को 25 प्रतिशत तक लागत कम आ रही है। घटिया क्वालिटी होने की वजह से पावरबैंक में यूज की जाने वाली बैटरी की कैपेसिटी भी कम होती है। आम तौर पर 10,000mAh की लीथियम आयन बैटरी की कीमत प्रति सेल 200 से 250 रुपये के बीच होती है। चीनी सप्लायर इसे 150 रुपये में बेच रहे हैं। सरकार की कार्रवाई के बाद मार्केट से घटिया क्वालिटी वाले पावर बैंक गायब हो जाएंगे, जिसका यूजर को फायदा होगा।
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