जापान टेक्नोलॉजी के मामले में एक अच्छा देश माना जाता है। हालांकि, अभी भी इस मॉडर्न देश में आदम जमाने की स्टोरेज टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा था। जापान की सरकार ने घोषणा की है कि उसने अब इस पुरानी टेक्नोलॉजी से निजात पा लिया है। सरकार पिछले दो साल से इस स्टोरेज टेक्नोलॉजी को सिस्टम से बाहर करने में लगी थी, आखिरकार अब उसे सफलता मिल गई है। 90 के दशक में कम्प्यूटर से किसी फाइल को बाहर स्टोर करने के लिए इसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता था।
1990 की दशक में होता था यूज
जी हां, हम Floppy Disc की बात कर रहे हैं। 1990 के दशक में अमेरिका से लेकर भारत तक इस आउटपुट स्टोरेज टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता था। 1998-99 में CD यानी कॉम्पैक्ट डिस्क की लोकप्रियता बढ़ने के बाद फ्लॉपी डिस्क का इस्तेमाल खत्म होने लगा, लेकिन जापान के सरकारी महकमे में अभी तक इसका इस्तेमाल किया जाता था। जापान के डिजिटल मिनिस्ट टारो कोनो ने घोषणा की है कि 28 जून 2024 को सरकार ने फ्लॉपी डिस्क के खिलाफ जंग जीत ली है।
जापान ने 2022 में Floppy Disc और CD-ROM को सरकारी सिस्टम में इस्तेमाल न करने को लेकर कानून बनाया था लेकिन फ्लॉपी डिस्क को सिस्टम से बाहर करने में करीब 2 साल का समय लग गया। हालांकि, जापान के सरकारी सिस्टम में अभी भी CD का इस्तेमाल किया जा रहा है। नई टेक्नोलॉजी की बात करें तो अब ज्यादातर फाइल्स क्लाउड स्टोरेज या फिर माइक्रोएसडी कार्ड के जरिए ट्रांसफर किए जाते हैं।
Gen-Z ने नहीं सुना नाम
2018 में की गई एक स्टडी में पाया गया था कि Floppy Disc के बारे में 6 साल से लेकर 18 साल के बच्चे बिलकुल नहीं जानते हैं। Gen-Z ने तो इसका नाम तक नहीं जानते हैं। हालांकि, अभी भी कई देशों के पाठ्यक्रम में फ्लॉपी डिस्क स्टोरेज टेक्नोलॉजी का जिक्र किया जाता है।
1971 में हुआ लॉन्च
Floppy Disc को सबसे पहले 1971 में लॉन्च किया गया था। हालांकि, कमर्शियल तौर पर फ्लॉपी डिस्क का इस्तेमाल 1972 में पहली बार किया गया था। आम तौर पर 8 इंच, 5.25 इंच और 3.5 इंच के फ्लॉपी डिस्क चलन में रहे हैं। फ्लॉपी डिस्क में 80kb से लेकर 200Mb तक के फाइल को स्टोर किया जा सकता है। 1998-99 में लॉन्च हुए 3.5 इंच के HiFD में 150 से लेकर 200MB तक के फाइल को स्टोर किया जा सकता था।