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DeepSeek को लेकर सामने आया एक और खतरा, खुफिया एंजेसी ने लोगों को किया अलर्ट

चीन के नए एआई टूल DeepSeek ने जब से दस्तक दी है तब से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है। कई सारे देशों ने सुरक्षा कारणों से इस इस एआई चैटबॉट पर बैन लगा दिया है। DeeepSeek को लेकर एक और बड़ा अलर्ट जारी किया गया है जो कि सुरक्षा एजेंसी की तरफ से आया है।

Written By: Gaurav Tiwari
Published : Feb 11, 2025 8:56 IST, Updated : Feb 11, 2025 8:56 IST
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Image Source : फाइल फोटो डीपसीक को लेकर जारी हुआ नया अलर्ट।

पिछले कुछ दिनों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर जमकर चर्चा हुई है। जब से चीन की तरफ से DeepSeek एआई टूल को पेश किया गया है मानों एआई की दुनिया में भूकंप सा आ गया हो। ओपनएआई के ChatGPT को टक्कर देने के लिए चीन की एक कंपनी ने डीपसीक को लॉन्च किया है। कम लागत में तैयार यह AI Tool कितना सेफ है इसको लेकर जमकर चर्चा हो रही है। अब इसको लेकर खूफिया एजेंसी ने भी अलर्ट जारी कर दिया है।

आपको बता दें कि DeepSeek में डाटा प्राइवेसी के खतरे को लेकर कई देश इस पर रोक लगा चुके हैं। अब साउथ कोरिया की खूफिया एजेंसी ने DeepSeek AI चैटबॉट को लेकर बड़ा अलर्ट जारी किया है। इस अलर्ट ने डीपसीक पर डेटा प्राइवेसी की चिंता को एक बार फिर से बढ़ा दिया है। 

चैट रिकॉर्ड हो सकते हैं ट्रांसफर

दक्षिण कोरिया की नेशनल इंटेलीजेंस सर्विस (NIS) की तरफ से कहा गया है कि उसने सभी सरकारी एजेंसियो से DeepeSekk को लेकर ऐहतियात बरतने को कहा है। सुरक्षा एजेंसी की तरफ से बताया गया कि इस नए चीनी एआई टूल पर चैट रिकॉर्ड ट्रांसफर किए जा सकते हैं। NIS के मुताबिक इस चैटबॉट में की बोर्ड इनपुट पैटर्न को कलेक्ट करने का फंक्शन है। यह बेहद आसानी से यूजर्स की पहचान कर सकता है और साथ ही चीनी कंपनियों के सर्वर से कम्यूनिकेट कर सकता है। 

डाटा को एक्सेस कर सकती है सरकार

आपको बता दें कि दक्षिण कोरिया ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए डीपसीक के एआई चैटबॉट को पहले ही ब्लॉक कर रखा है। दक्षिण कोरिया की खूफिया एजेंसी ने कहा कि डीपसीक एआईटूल विज्ञापनदाताओं को यूजर्स डेटा का बिना किसी लिमिट के एक्सेस देती है और यह टूल यूजर्स के डेटा को चीनी सर्वर पर स्टोर कर कती है। चीन के कानून के अनुसार अगर वहां की सरकार को जरूरत पड़ती है तो वह इस डाटा को एक्सेस कर सकती है। NIS की तरफ से डीपसीक पर कुछ संवेदनशील मुद्दों पर अलग अलग भाषाओं में अलग अलग जवाब देने का भी आरोप लगाया है। 

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