स्मार्टफोन हो या अन्य कोई इलेक्ट्रॉनिक अप्लायंसेज, उन्हें चार्ज होने में कम से कम 25 से 30 मिनट लगते हैं। हालांकि, पिछले कुछ सालों में कई ब्रांड्स ने सुपरफास्ट चार्जिंग वाले स्मार्टफोन लॉन्च किए हैं, जिन्हें चार्ज करने में 15-20 मिनट लगते हैं। वहीं, अगर लैपटॉप या फिर इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बात की जाए तो उन्हें चार्ज होने में 45 मिनट से ज्यादा का समय लगेगा। अगर, आपको यह कहा जाए कि अब इलेक्ट्रिक गाड़ियों को चार्ज होने में महज 10 मिनट का समय लगेगा, तो आप शायद ही यकीन कर पाएं। जी हां, ऐसी टेक्नोलॉजी डेवलप की जा चुकी है और इसे एक भारतीय मूल के वैज्ञानिक ने तैयार किया है।
सुपरकैपेसिटर फटाफट चार्ज करेगा EV!
भारतीय मूल के रिसर्चर अंकुर गुप्ता ने इलेक्ट्रिक गाड़ियां चार्ज करने की नई टेक्नोलॉजी खोजी है। पेशे से अमेरिका बेस्ड कोलोराडो बाउल्डर यूनिवर्सिटी के केमिकल एंड बायोलोजिकल इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर अंकुर गुप्ता ने नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस के एक जर्नल में इस पर अपना एक रिसर्च पब्लिश किया है।
अपने रिसर्च में अंकुर गुप्ता ने बताया कि किसी डिवाइस की बैटरी आयन (छोटा चार्जिंग पार्टिकल) के मूवमेंट की वजह से चार्ज होती है। इसमें एक कॉम्प्लेक्स माइक्रोस्कोपिक पोर वाला स्ट्रक्चर होता है। इसकी एनर्जी को स्टोर करने के लिए ज्यादा झमता वाली स्टोरेज डिवाइस जैसे कि सुपरकैपेसिटर की जरूरत होती है।
सुपरकैपेसिटर एक एनर्जी स्टोरेज डिवाइस है, जो आयन और इसके पोर को कलेक्ट कर सकता है। यह सुपरकैपेसिटर किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को बहुत तेजी से चार्ज कर सकता है। इस खोज की वजह से इलेक्ट्रिक गाड़ियों की चार्जिंग में लगने वाले समय बेहद कम होगी और पावरग्रिड पर पड़ने वाले लोड को कम किया जा सकता है। अंकुर गुप्ता ने अपने रिसर्च जर्नल में बताया कि मैनें अपने केमिकल इंजीनियरिंग के ज्ञान की मदद से एनर्जी स्टोरेज डिवाइस को एडवांस करने की कोशिश की है।
स्मार्टफोन से भी कम लगेगा समय
EV के चार्जर में अगर सुपरकैपेसिटर का इस्तेमाल किया जाए, तो यह गाड़ियों की बैटरी को बहुत तेजी से चार्ज कर सकता है। यहां तक की यह एक स्मार्टफोन को चार्ज होने में लगने वाले औसत समय से काफी कम होगा। भारतीय मूल के रिसर्चर की यह खोज आने वाले दिनों में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए वरदान साबित हो सकती है। इस समय ज्यादातर लोग इलेक्ट्रिक गाड़ियों को चार्जिंग में लगने वाले समय और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की वजह से कम खरीद रहे हैं। इस टेक्नोलॉजी के आने के बाद इलेक्ट्रिक गाड़ियों की चार्जिंग वाली समस्या दूर हो सकती है।