Saturday, January 04, 2025
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अब पैरेंट्स की मंजूरी के बिना बच्चे नहीं चला पाएंगे सोशल मीडिया, देश में जल्द लागू होगा नया नियम

केंद्र सरकार की तरफ से शुक्रवार को सार्वजनिक परामर्श के लिए डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियम, 2025 का मसौदा जारी किया। मसौदा नियमों को अंतिम रूप देने के लिए 18 फरवरी के बाद विचार किया जाएगा। आइए आपको बताते हैं कि इससे किस तरह का बदलाव देखने को मिलने वाला है।

Reported By : Devendra Parashar Written By : Gaurav Tiwari Published : Jan 03, 2025 22:50 IST, Updated : Jan 04, 2025 6:34 IST
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Image Source : फाइल फोटो सरकार की तरफ से जारी मसौदे में बच्चों के डेटा प्रोटेक्शन के लिए कई तरह के प्रावधान रखे गए हैं।

Digital personal data protection:केंद्र सरकार की तरफ से लंबे समय प्रतीक्षित डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियमों का मसौदा शुक्रवार को जारी कर दिया गया। इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट का मसौदा जारी किया। आपको याद दिला दें कि सरकार ने इस कानून को संसद में अगस्त 2023 में पेश किया था। सरकार ने जनता से इस मसौदे पर 18 फरवरी 2025 तक अपनी राय मांगी है। डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट पर फीड बैक  MyGov.in के माध्यम से दिया जा सकेगा। सरकार फीडबैक मिलने के बाद इस पर चर्चा करेगी।

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट में उल्लेख नियमों के तहत आने वाले समय में 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया अकाउंट चलाना कठिन होने वाला है। दरअसल मसौदे में यह प्रावधान रखा गया है कि अगर कोई 18 साल से कम उम्र का नाबालिग सोशल मीडिया अकाउंट ओपन करता है तो इसके लिए माता-पिता की मंजूरी लेना अनिवार्य होगा। यह मसौदा नियम बच्चो और दिव्यांग व्यक्तियों के पर्सनल डेटा की सुरक्षा के लिए सख्त उपाय को लागू करने पर जोर देता है।

फीडबैक का नहीं होगा खुलासा

डिजिटल पर्सनल ड्राफ्ट रूल्स मसौदे के तहत डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड, बोर्ड के चेयरपर्सन और अन्य सदस्यों की सेवा शर्तों को लेकर चीजें साफ होने की उम्मीद है। अधिसूचना जारी करते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री की तरफ से कहा गया कि मौसेद पर मिलने वाले फीडबैक का खुलासा नहीं किया जाएगा। 

उल्लंघन पर संस्थाओं को देनी होगी डिटेल्स

नियमों के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति का पर्सनल डेटा का उल्लंघन होता है तो सोशल मीडिया एंटिटी, फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन या फिर बेवसाइट जैसे संस्थाओं को उस व्यक्ति को इसकी जानकारी उपलब्ध करानी होगी। इतना ही नहीं संस्थाओं को उल्लंघन की प्रवृत्ति, समय और जगह की डिटेल्स भी शेयर करनी होगी। संस्थाओं को यह भी बताना होगा कि उल्लंघन के क्या क्या नतीजे हो सकते हैं और इससे बचने के क्या उपाय हैं। 

संस्थाओं को डिजिटल टोकन करना होगा इस्तेमाल

 डिजिटल पर्सनल ड्राफ्ट रूल्स मसौदे के अनुसार जो संस्थाएं व्यक्तिगत डेटा को एकत्रित करने और उन्हें संभालने की जिम्मेदारी लेती हैं उन्हें नाबालिग बच्चों के डेटा को मैनेज करने से पहले उनके पैरेंट्स की इजाजत लेना जरूरी होगा। सहमति की पुष्टि के लिए संस्थाओं को डिजिटल टोकन का इस्तेमाल करना होगा। मतलब अगर कोई 18 वर्ष से कम आयु में सोशल मीडिया अकाउंट ओपन करता है तो अब संस्था को उस बच्चे के पैरेंट्स की इजाजत लेना अनिवार्य होगा। 

वहीं दूसरी तरफ डिजिटल पर्सनल ड्राफ्ट रूल्स मसौदे में शैक्षणिक संस्थाओं और बाल कल्याण संगठनों के लिए नियमों में छूट का प्रावधान भी किया गया है। मसौदे में यह भी कहा गया है कि कन्सेंट मैनेजरों के लिए डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड के साथ रजिस्ट्रेशन किया जाएगा जिसका नेटवर्थ कम से कम 12 करोड़ रुपये होना चाहिए।

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