Saturday, January 04, 2025
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Smartphone में हैं ये ऐप्स तो तुरंत करें डिलीट, सरकार ने Google और Apple को भी दिया आदेश

अगर आप स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं तो आपेक लिए काम की खबर है। हमें जब भी कोई काम पड़ता है तो हम एक नया ऐप इंस्टाल कर लेते हैं। कई बार सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए पहचान छुपाने वाले ऐप्स का भी इस्तेमाल करते हैं। अब भारत सरकार ने कुछ खास तरह के ऐप्स को लेकर कड़ा रुख अपना लिया है।

Written By: Gaurav Tiwari
Published : Jan 03, 2025 19:38 IST, Updated : Jan 03, 2025 19:38 IST
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Image Source : फाइल फोटो मोबाइल यूजर्स के लिए सेफ्टी के लिए सरकार ऐप्स के नियमों को किया सख्त।

अगर आप स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं तो आपके लिए काम की खबर है। दरअसल हम लोग स्मार्टफोन में अलग अलग काम के लिए अलग-अलग ऐप्लिकेशन इस्तेमाल करते हैं। भारत सरकार ने अब कुछ खास तरह की ऐप्लिकेशन्स को लेकर सख्त रवैया अपना लिया है। आपको बता दें कि सरकार ने VPN Apps पर बड़ी कार्रवाई की है। इसको लेकर सरकार की तरफ से Apple और Google दोनों को ही निर्देश दिए गए हैं। 

टेक क्रंच की रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार के गृह मंत्रालय की तरफ से VPN Apps को हटाने के निर्देश दिए गए हैं। सरकार ने इस सबंध में Apple और Google को अपने ऐप्स स्टोर से इन ऐप्स को हटाने के निर्देश दे दिए हैं।  रिपोर्ट की मानें तो, ऐप के डेवलपर्स को भेजे गए मैसेज में Apple ने गृह मंत्रालय के एक डिवीजन भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र की ओर से एक “डिमांड” का जिक्र को दर्शाया है।

सरकार की हिट लिस्ट में कई पॉपुलर ऐप्स

भारत सरकार की तरफ से जिन वीपीएन ऐप्स को हटाने का निर्देश दिया गया है उसमें क्लाउड फ्लेयर का पॉपुलर वीपीएन ऐप्लिकेशन VPN 1.1.1.1 के साथ-साथ दूसरे कई सारे ऐप्स शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक वीपीएन ऐप्स को हटाने के पीछे कानूनी उल्लंघन का हवाला दिया जा रहा है। केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया है कि डेवलपर्स के कंटेंट भारतीय कानून का उल्लंघन करती है। 

केंद्र सरकार ने भारत में वीपीएन ऐप्स के लिए कई तरह के नियम तय किए हुए हैं। अब सरकार उन ऐप्स के खिलाफ कार्रवाई के मूड में नजर आ रही है जो भारतीय मानकों को पूरा नहीं करते। VPN ऐप के लिए जो सबसे ज्यादा अनिवार्य नियम है वह यह था कि VPN सर्विस प्रवाइडर और क्लाउड सर्विस ऑपरेटर्स को अपने यूजर्स की डिटेल्स को रिकॉर्ड रखना अनिवार्य था। इसमें यूजर ऐड्रेस, IP Address और पांच साल तक के ट्रांजैक्शन हिस्ट्री को रिकॉर्ड रखना था। 

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