AI Accuracy: AI एक ऐसा नाम जो इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रहा है। वैसे तो इसका मतलब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है, लेकिन हाल की स्थिति को देखकर AI यानी 'एक्टिंग ऑफ इंफॉर्मेशन' कहा जा सकता है। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि AI को जितना हाइप दिया गया है, असल मायनों में वह उतने का हकदार नहीं है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भविष्य कैसा होगा? ये भविष्य की बात है, लेकिन हम इस चर्चा पर इसके आज को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। चैटजीपीटी और चैटसोनिक जैसे किसी भी AI से आप सवाल पूछ लीजिए, आपको 100% एक्यूरेसी नहीं मिलेगी। आपने भारतीय सिनेमा में बनी रोबोट फिल्म देखी होगी तो आपको याद होगा कि कैसे एक मशीन में गलत इनपुट डाल देने से वह उसके हिसाब से वर्क करने लगता है। यहां सवाल अभी भी वही है कि AI जब तक इनपुट के आधार पर काम करेगा। उसके लिए सभी तरह की जानकारियों के लिए 100% एक्यूरेसी लाना बेहद मुश्किल होगा। क्योंकि हर रोज तथ्य बदल रहे हैं। रोज लाखों की संख्या में सही और गलत कंटेंट इंटरनेट पर अपलोड हो रहा है। अगर AI कई सारे वेबसाइट को रीड कर समराइज करता है तो यहां सबसे बड़ा खतरा फैक्ट से संबंधित होगी। आज हम आपको AI से जुड़ी कई जरूरी बातें बताएंगे जो आपके जीवन पर कहीं ना कहीं आने वाले समय में असर डालने वाली है।
AI के लिए एक्यूरेसी को मैंटेन करना कितना बड़ा चैलेंज?
एक्यूरेसी को मैंटेन करना कितना बड़ा चैलेंज है? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए इंडिया टीवी ने ChatSonic के फाउंडर और सीईओ सुमनु गर्ग से बात की। ChatGPT की तरह ही इंडिया का Chatsonic है। आप इसे ऐसे समझ सकते हैं, जैसे इंडिया का ट्विटर Koo ऐप है। उन्होंने बताया कि एआई मार्केट बहुत गतिशील है जो अभी विकसित हो रहा है। अभी हम ये कोशिश कर रहे हैं कि जवाब में सटीकता को बढ़ाया जा सके और बेहतर जवाब प्रोवाइड कराया जा सके। अभी यह कहना मुश्किल है कि क्वालिटी कितनी है। हमारी क्वालिटी एस्यूरेंस टीम नियमित गुणवत्ता जांच करती है। उनसे जब हमने हर बार अलग-अलग जवाब जेनेरेट करने को लेकर सवाल पूछा कि यह कैसे संभव हो पा रहा है? तो उन्होंने कहा कि Chatsonic पर आप हर बार एक ही सवाल का अलग-अलग जवाब पा सकते हैं। यह सिर्फ चैटसोनिक ही नहीं बल्कि चैट जीपीटी पर भी देखने को मिलता है। दरअसल हमारे इंजीनियर्स ने AI को उस तरीके से डिजाइन किया है कि वह हर बार विभिन्न तरह का जवाब दे सके। हम हर रोज खुद को अपडेट कर रहे हैं। गूगल पर रेगुलर लाखों की संख्या में कंटेंट अपलोड हो रहा है। ये कंटेंट AI को अलग-अलग तरह के जवाब जेनेरेट करने में मदद करता है, क्योंकि AI इंटरनेट पर मौजूद कंटेंट से इंटरलिंक होता है। जिस दिन कंटेंट अपलोड होना बंद हो जाएगा। उस दिन से AI को जवाब देने में परेशानी होने लगेगी।
AI होगा सब्सक्रिप्शन के हवाले
इस टेक्नोलॉजी के युग में सब्सक्रिप्शन का मॉडल तेजी से फल-फुल रहा है। ओटीटी से लेकर गेम खेलने तक और AI से लेकर कंटेट क्रिएट करने तक, हर जगह कंपनियां सब्सक्रिप्शन मॉडल पर काम कर रही है। दरअसल सब्सक्रिप्शन मॉडल का मतलब यह होता है कि कोई कंपनी एक तय अमाउंट पर आपको अपने प्लेटफॉर्म पर मौजूद डेटा को पढ़ने या इस्तेमाल करने की अनुमति देती है। ChatGPT की तरह ही Chatsonic भी सब्सक्रिप्शन मॉडल को पेश कर रही है। फिलहाल इसे 19 डॉलर प्रति महीने के तौर पर पेश किया गया है। गर्ग का कहना है कि अभी कंपनी नए यूजर्स को 10,000 शब्दों का कंटेंट फ्री में लिखने की अनुमति देती है।