Wednesday, November 20, 2024
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Google को बड़ा झटका! बेचना पड़ सकता है Chrome ब्राउजर, जानें पूरा मामला

Google के खिलाफ एक और बड़ी कार्रवाई की जा सकती है, जिसके बाद कंपनी को अपना Chrome ब्राउजर बेचना पड़ सकता है। गूगल पर एंटी ट्र्स्ट के नियमों के उल्लंघन के कई मामले चल रहे हैं, जिसकी वजह से कंपनी को कड़ा फैसला लेना पड़ सकता है।

Written By: Harshit Harsh @HarshitKHarsh
Updated on: November 20, 2024 6:54 IST
Google Chrome- India TV Hindi
Image Source : FILE Google Chrome

Google को अपना Chrome वेब ब्राउजर बेचना पड़ सकता है। कंपनी को एंटी-ट्रस्ट नियमों के उल्लंघन का दोषी माना गया है, जिसकी वजह से बड़ी कार्रवाई की जा सकती है। अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट पर क्रोम वेब ब्राउजर बेचने के लिए दबाव बना सकता है। हालांकि, अभी यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट की मानें तो अल्फाबेट को अपने वेब ब्राउजर Chrome और Android ऑपरेटिंग सिस्टम के बिजनेस को अलग करने के लिए कहा जा सकता है। इसके बाद गूगल अपने वेब ब्राउजर को स्टैंड अलोन कर सकती है।

क्या है मामला?

दरअसल, गूगल पर यह दबाव अगस्त में आए एक एंटी ट्रस्ट नियमों के उल्लंघन वाले फैसले की वजह से बनाया जा सकता है। अगर, कोर्ट में डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस जज से गूगल के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दबाव बना लेगा, तो टेक कंपनी के खिलाफ यह बड़ी कार्रवाई कर सकता है। अगस्त में कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि गूगल ने सर्च और एडवर्टाइजमेंट मार्केट में अपने एकाधिकार का गलत फायदा उठाया है, जिससे यह साबित होता है कि कंपनी एकाधिकारवादी है और उसने अपने एकाधिकार को बनाए रखने के लिए काम किया है।

गूगल का एकाधिकार

इस समय गूगल के पास Android मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम से अलावा, गूगल क्रोम ब्राउजर और AI Gemini जैसी सर्विसेज हैं। कंपनी अपने गूगल सर्च का एल्गोरिदम इस्तेमाल करके यूजर्स को टारगेटेड एडवर्टाइजमेंट दिखाता है। गूगल क्रोम ब्राउजर की बात करें तो इसकी 65 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसके बाद Apple Safari का 21 प्रतिशत मार्केट शेयर है। Firefox समेत अन्य ब्राउजर की हिस्सेदारी काफी कम है। गूगल क्रोम की बढ़ती हिस्सेदारी की मुख्य वजह Android ऑपरेटिंग सिस्टम है। दुनिया के ज्यादातर यूजर्स Android ऑपरेटिंग सिस्टम वाले स्मार्टफोन इस्तेमाल करते हैं, जिसमें Google Chrome डिफॉल्ट ब्राउजर के तौर पर रहता है।

कोर्ट के फैसले से गूगल को लगेगा झटका

रिपोर्ट की मानें तो कोर्ट गूगल को अपने Android OS, Google Play Mobile समेत अन्य सर्विसेज को अलग करने का आदेश दे सकता है। इस समय जितने भी Android स्मार्टफोन हैं उसमें यूजर्स को गूगल अकाउंट से साइन-इन करना होता है। इसके बाद ही वो गूगल प्ले स्टोर के जरिए किसी ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं। एक बार अगर आपने गूगल अकाउंट में लॉग-इन कर लिया तो आप फोन में मौजूद गूगल के सभी सर्विसेज में अपने आप लॉग-इन कर लेते हैं। गूगल ने इसी का फायदा उठाते हुए अपने एडवर्टाइजमेंट बिजनेस पर एकाधिकार स्थापित कर लिया है।

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