Deepfake यानी AI जेनरेटेड कॉन्टेंट को लेकर चौंकाने वाला सर्वे सामने आया है। भारत में हर 4 में से 1 शख्स का सामना डीपफेक कॉन्टेंट से हो रहा है। भारत में इन दिनों लोकसभा चुनाव 2024 आयोजित किया जा रहा है। चुनाव के सीजन में ज्यादार यूजर्स डीपफेक या एआई द्वारा क्रिएट किए गए पॉलिटिकल कॉन्टेंट को आए दिन सोशल मीडिया पर फेस कर रहे हैं। साइबर सिक्योरिटी कंपनी McAfee ने गुरुवार 25 अप्रैल को यह रिपोर्ट जारी किया है।
डीपफेक का चौंकाने वाला आंकड़ा
साइबर सिक्योरिटी फर्म के मुताबिक, करीब 75 प्रतिशत भारतीय यूजर्स डीपफेक कॉन्टेंट का सामना कर चुके हैं। इनमें से ज्यादातर यूजर्स को एआई जेनरेटेड पॉलिटिकल कॉन्टेंट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मिले हैं। इन एआई जेनरेटेड कॉन्टेंट में से 44 प्रतिशत कॉन्टेंट में पब्लिक फिगर या सेलिब्रिटी के चेहरे का इस्तेमाल किया गया है। वहीं, 31 प्रतिशत कॉन्टेंट का इस्तेमाल चुनाव को प्रभावित करने के लिए किया गया है।
McAfee ने अपने सर्वे में बताया कि पिछले कुछ महीनों में भारत में डीपफेक (Deepfake) या AI जेनरेटेड कॉन्टेंट के मामले काफी तेजी से बढ़े हैं, जिनमें पब्लिक और प्राइवेट फिगर का इस्तेमाल किया गया है। AI का इस्तेमाल करके वॉइस के साथ-साथ विजुअल अपीयरेंस को आसानी से बदला जा सकता है। डीपफेक की वजह से कॉन्टेंट की ऑथेंटिसिटी काफी प्रभावित हो रहा है, जो मौजूदा चुनावी साल के लिए बहुत चैलेंजिंग होने वाला है।
साइबर सिक्योरिटी फर्म ने 7,000 से ज्यादा ग्लोबली ग्राहकों से डीपफेक को लेकर सर्वे किया है, जिनमें भारत के अलावा यूके, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और जापान के यूजर्स शामिल हैं। साइबर फर्म ने यह सर्वे इस साल जनवरी और फरवरी के महीने में किए हैं।
ऑनलाइन फ्रॉड के ज्यादातर मामले
सर्वे के मुताबिक, 55 प्रतिशत मामलों में डीपफेक कॉन्टेंट का इस्तेमाल ऑनलाइन धमकी देने के लिए, 52 प्रतिशत कॉन्टेंट पोर्नोग्राफिक और 49 प्रतिशत कॉन्टेंट धोखाधड़ी के लिए क्रिएट किए गए हैं। इसके अलावा 27 प्रतिशत एआई जेनरेटेड कॉन्टेंट ऐतिहासिक फैक्ट्स को प्रभावित करने के लिए बनाए गए हैं। सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा यह है कि ऑनलाइन धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल किए गए 64 प्रतिशत एआई जेनरेटेड कॉन्टेंट की पहचान करना बेहद मुश्किल रहा है। 31 प्रतिशत यूजर्स इसकी वजह से अपने पैसे गवां चुके हैं।
- IANS इनपुट