1 नवंबर से आपको ऑनलाइन सामान खरीदने या फिर अन्य सर्विसेज के लिए OTP मिलने में दिक्कत हो सकती है। TRAI का नया नियम 1 नवंबर को लागू होने वाला है, जिसको लेकर टेलीकॉम ऑपरेटर्स Airtel, Jio, BSNL, Vi और सेल्युलर असोसिएशन (COAI) ने चिंता दिखाई है। खास तौर पर ट्रांजैक्शनल और सर्विस मैसेज डिलीवर होने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। ट्राई 1 नवंबर से मैसेज ट्रेसेबिलिटी वाला नया नियम लागू करने वाला है। इस नियम के लागू होने के बाद बिना निर्धारित टेम्पलेट वाले टेलीमार्केटिंग मैसेज को नेटवर्क लेवल पर ही ब्लॉक कर दिया जाएगा।
OTP मिलने आएगी दिक्कत!
दूरसंचार नियामक के नए नियम से यूजर्स को आने वाले फर्जी कॉल और मैसेज पर लगाम लगाया जाएगा। इसमें यूजर्स को ऐसे किसी टेलीमार्केटर और संस्थान से मैसेज या कॉल नहीं आएंगे, जो वाइटलिस्टेड नहीं हैं। ऐसे में जिन बैंक या पेमेंट प्लेटफॉर्म ने खुद को व्हाइटलिस्ट नहीं किया है, उन बैंक या प्लेटफॉर्म के यूजर्स को OTP वाले मैसेज रिसीव नहीं होंगे। बिना OTP के ऑनलाइन पेमेंट करना संभव नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक, ट्राई ने टेलीकॉम ऑपरेटर्स को कहा है कि उन सभी कंपनियों को रजिस्टर करें जो OTP एवं अन्य जरूरी जानकारियां यूजर्स को SMS के जरिए उपलब्ध कराती हैं। अगर, कंपनी को रजिस्टर नहीं किया गया तो यूजर्स को SMS नहीं आएंगे।
पिछले कुछ सालों में फर्जी मैसेज और कॉल्स के जरिए करोड़ों रुपये के फ्रॉड के मामले आ चुके हैं। ज्यादातर मामलों में हैकर्स यूजर्स को SMS के जरिए फर्जी लिंक, APK फाइल के लिंक आदि भेज रहे थे। इन लिंक पर क्लिक करते ही यूजर्स की निजी जानकारियां और डिवाइस का एक्सेस हैकर्स के पास पहुंच जाता था और बड़े पैमाने पर फ्रॉड किया जाता था।
क्या है TRAI का नया नियम?
दूरसंचार नियामक ने टेलीकॉम ऑपरेटर्स से कहा है कि OTP, लिंक जैसी अहम जानकारियों वाले मैसेज के लिए एक निश्चित टेम्पलेट को फॉलो किया जाए, ताकि फर्जी मैसेज को ट्रैक करने में आसानी हो सके। इसके अलावा बैंकिंग या अन्य सर्विस प्रदान करने वाले एजेंसियों को व्हाइटलिस्ट किया जाए, ताकि इनके मैसेज यूजर्स को प्राप्त हो सके। नए नियम के मुताबिक, जो एजेंसी व्हाइटलिस्टेड नहीं हैं उनके द्वारा भेजे गए मैसेज नेटवर्क द्वारा ब्लॉक कर दिए जाएंगे। ऐसे में यूजर्स को ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए OTP प्राप्त नहीं होगा।
हालांकि, TRAI ने बैंकों को अपने कमर्शियल मैसेज यानी URL वाले डायनेमिक पार्ट को व्हाइटलिस्ट कराने में छूट दी है। बैंकों को केवल कमर्शियल मैसेज के स्टेटिक पार्ट को वेरिफाई करने के लिए कहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ एंटिटी ने अभी भी जानकारियां व्हाइटलिस्ट नहीं की हैं, जबकि कई ने व्हाइटलिस्ट की प्रक्रिया पूरी कर ली है।
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