5G Spectrum की एक बार फिर से नीलामी शुरू हो गई है। इस बार सरकार 96 हजार करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम को नीलामी के लिए रखा है। इससे पहले 2022 में हुई 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी में सरकार ने 1.5 खरब रुपये की ताबड़-तोड़ कमाई की थी। इस बार भी सरकार को स्पेक्ट्रम की नीलामी से अच्छी-खासी कमाई की उम्मीद है। इस बार भी 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी में तीनों प्रमुख टेलीकॉम कंपनियां Reliance Jio, Airtel और Vodafone-Idea हिस्सा ले रही हैं।
96,320 करोड़ रुपये के एयरवेव की नीलामी
इस बार सरकार ने 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी में 8 स्पेक्ट्रम बैंड को बोली पर रखा है। रिपोर्ट्स की मानें तो इस बार तीनों कंपनियां मिलकर करीब 12,500 करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम खरीद सकते हैं, जो मौजूदा 96,320 करोड़ रुपये के एयरवेव का महज 13 प्रतिशत है। सरकार ने पिछले महीने 13 और 14 मई को इस नीलामी का सफल अभ्यास किया था।
दूरसंचार विभाग के मुताबिक, इस बार स्पेक्ट्रम की नीलामी में अलग-अलग बैंड के 10,522.35 MHz स्पेक्ट्रम को नीलाम किया जाएगा। 2022 में सरकार ने 51,236 MHz के स्पेक्ट्रम नीलाम किए थे। केन्द्र सरकार ने इस बार 800 MHz, 900 MHz, 1800 MHz, 2100 MHz, 2300 MHz, 2500 MHz, 3300 MHz और 26 GHz के स्पेक्ट्रम बैंड नीलामी के लिए रखे हैं।
इस नीलामी में हिस्सा लेने वाली टेलीकॉम कंपनियों को अगले 20 साल के लिए स्पेक्ट्रम का आवंटन किया जाएगा। सफल बिड करने वाली कंपनी को इसके लिए 20 सालाना इंस्टॉलमेंट में स्पेक्ट्रम की राशि का भुगतान करना होगा। यही नहीं, टेलीकॉम कंपनी अपने स्पेक्ट्रम को 10 साल के बाद ही सरेंडर कर सकेगी। हालांकि, इस बार की नीलामी में टेलीकॉम कंपनियों को स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज (SUC) का भुगतान नहीं करना होगा।
क्या होता है स्पेक्ट्रम?
टेलीफोन, रेडियो, टेलीविजन, मोबाइल, वॉइस और डेटा कनेक्टिविटी के लिए स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल होता है। स्पेक्ट्रम को इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्रीक्वेंसी कहा जाता है, जिसका इस्तेमाल कम्युनिकेशन की अलग-अलग सर्विस के लिए किया जाता है। टेलीकॉम कंपनियां इन स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करके अपने यूजर्स को बेहतर कनेक्टिविटी देने की कोशिश करती हैं। किसी भी एयरवेव का काम एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस के बीच वायरलेस कनेक्टिविटी स्थापित करना है।
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