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साइबर सुरक्षा के बगैर डिजिटल इंडिया और कैशलेस इकॉनमी का भविष्य खतरे में

साइबर विशेषज्ञों का मानना है कि देश की साइबर सुरक्षा पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो सरकार के डिजिटल इंडिया और कैशलेस इकॉनमी जैसे महत्वाकांक्षी अभियानों के भविष्य पर रैंसमवेयर वानाक्राई की तरह साइबर हमले का खतरा बना रहेगा।

India TV Tech Desk
Updated on: May 21, 2017 17:36 IST
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नई दिल्ली: साइबर विशेषज्ञों का मानना है कि देश की साइबर सुरक्षा पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो सरकार के डिजिटल इंडिया और कैशलेस इकॉनमी जैसे महत्वाकांक्षी अभियानों के भविष्य पर रैंसमवेयर वानाक्राई की तरह साइबर हमले का खतरा बना रहेगा।

साइबर कानून एवं सुरक्षा विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने भाषा से कहा, देश को साइबर सुरक्षा पर बहुत अधिक काम करने की जरूरत है। साइबर सुरक्षा के बगैर सरकार के डिजिटल इंडिया और कैशलेस इकॉनमी जैसे महत्वाकांक्षी अभियानों पर हमेशा साइबर हमले का खतरा बना रहेगा। यहां आधार पहचान के लिये लोगों की करीब-करीब सारी जानकारियां कंप्यूटर पर सुरक्षित हैं और इस पर हमला होने से बहुत मुश्किल खड़ी हो सकती है। यह बहुत संवेदनशील मामला है।

उन्होंने कहा कि देश में साइबर सुरक्षा से जुड़े कानून ही नहीं हैं। अभी तक आईटी कानून-2013 को भी अमल में नहीं लाया गया। भारत सरकार को जल्द से विश्व के अन्य देशों के साथ मिलकर साइबर सुरक्षा से संबंधित कानून का मसौदा तैयार करना चाहिये।

उन्होंने बताया कि दुनिया के 150 देशों में कंप्यूटर सिस्टम पर हमला करने वाले वायरस रैंसमवेयर वानाक्राई के कारण दुनिया भर के करीब दो लाख और देश के करीब 48,000 से ज्यादा कंप्यूटर और उनसे जुड़ा कामकाज प्रभावित हुआ है। कंप्यूटरों की संख्या के हिसाब से वानाक्राई के कारण भारत दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा प्रभावित देश है। दुग्गल ने कहा, अभी भी देश की 70 प्रतिशत से ज्यादा एटीएम मशीनें विंडो आपरेटिंग सिस्टम पर चल रही हैं। साइबर हमलावरों के लिये विंडो आधारित सिस्टम को हैक करना बहुत आसान है।

उल्लेखनीय है कि रैंसमवेयर वानाक्राई के कारण बीते सप्ताह के दौरान देश भर के अनेक इलाके में करीब दो लाख एटीएम को सुरक्षा के लिहाज से बंद करना पड़ा था। हालांकि देश की किसी भी बड़ी कंपनी अथवा बैंक ने अभी तक अपना कामकाज बाधित होने की रिपोर्ट नहीं दी है।

पवन दुग्गल ने कहा, हमारे देश में साइबर हमले के बारे में रिपोर्ट करने का रिवाज ही नहीं है। सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के बैंक समेत ज्यादातर कारोबारी एवं वित्तीय प्रतिष्ठान अपने यहां हुये साइबर हमले की रिपोर्ट नहीं करते हैं, जबकि आईटी कानून-2013 के तहत बैंकों और सूचीबद्ध कंपनियों को अपने यहां हुये किसी भी साइबर हमले की रिपोर्ट करना अनिवार्य है।

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ एवं इन्वेस्टीगेटर मुकेश चौधरी ने भाषा से कहा, वानाक्राई अटैक व्यक्तिगत तौर पर लोगों को लक्ष्य करके नहीं किया गया था। इसका निशाना इस प्रकार के परंपरागत कारोबारी संस्थान थे, जिनका आईपी एड्रेस सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि साइबर सुरक्षा के बगैर डिजिटल इंडिया और कैशलेस इकॉनमी जैसे अभियान निजी जानकारियों के लिहाज से बहुत खतरनाक हैं।

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